मानहानि का कानून सियासी हथियार नहीं बने

  • मानहानि मामलों को सरकारों की आलोचनाओं के खिलाफ राजनीतिक जवाबी हथियारों  के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • जस्टिस दीपक मिश्र और जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा, सरकार को भ्रष्ट या सही नहीं कहने वाले किसी भी व्यक्ति पर मानहानि मामला नहीं चलाया जा सकता।
  • शीर्ष अदालत ने कहा, आलोचना के प्रति सहिष्णुता होना चाहिए। मानहानि मामले राजनीतिक जवाबी हथियार के रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकते।
  • सरकार या नौकरशाहों की आलोचना करने पर दर्ज मामले लोगें पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव डालते हैं।
  • पीठ ने कहा कि मानहानि से जुड़े कानूनी प्रावधानों 499 और 500 को विरोध को दबाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यदि कई मानहानि मामले दायर करके लोगांे को परेशान करने का निरंतर प्रयास होता है तो अदालत को दखल देना चाहिए। 
  • क्या है मामला :  तिरुपुर की एक निचली अदालत ने बुधवार को मानहानि मामले में अदालत में हाजिर नहीं होने पर विजयकांत और उनकी पत्नी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। मामला तिरुपुर जिले के लोक अभियोजक द्वारा इस आरोप पर दर्ज कराया गया था कि उन्होने जयललिता के खिलाफ झूठी टिप्पणियां कीं और 6 नवंबर 2015 को राज्य सरकार के कामकाज की आलोचना की।

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