जिलाधिकारी से छिन सकती है सांसद निधि

सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रलय की अनुदान की मांगों पर अपनी रिपोर्ट में  वीरप्पा  मोइली की अध्यक्षता वाली समिति ने एक  महत्वपूर्ण सुझाव के तहत सांसद निधि के तहत विकास कार्यो को मंजूरी देने का जिलाधिकारी का अधिकार वापस लेने को कहा हैं ।

  • समिति का कहना है कि यह बदलाव होने पर योजना का क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से हो सकेगा।
  • जिलाधिकारी या डिप्टी कमिश्नर को इस योजना की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है

क्या है वर्तमान प्रणाली एमपीलैड के तहत संसद सदस्य विकास कार्य की सिफारिश करते हैं, जबकि उसे मंजूरी तथा क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होती है। जिलाधिकारी के पास कई जिम्मेदारियां होने के कारण कई बार एमपीलैड के विकास कार्यो में देरी हो जाती है। 

सांसद निधि क्या है:

  • इस योजना के पैसे को लोकसभा सांसदों को अपने चुनाव क्षेत्र में कहीं भी और राज्यसभा सांसदों को अपने राज्य में कहीं भी और मनोनीत सांसदों को देश भर में कहीं भी विकास कार्यों के लिए आवंटित की जाती है.
  • यह साल 1993 से शुरू की गई 
  • सांसद निधि का इस्तेमाल सामुदायिक भवन, बिजली, सड़क और पीने के पानी पर किया जाता है.
  • लोकसभा के सदस्य वैसे सदस्य, जो चुनाव जीत कर संसद में आते हैं, उन्हें अपने लोकसभा क्षेत्र में इस राशि को खर्च करना है.
  •  राज्यसभा सदस्य को उस राज्य के एक या एक से अधिक जिले में इस फंड को खर्च करने का अधिकार है, जिस राज्य से वह चुना जाता है.
  • लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य को यह अधिकार मिला है कि वह देश के किसी राज्य के किसी जिले का चुनाव इस फंड को खर्च करने के लिए करे
  • किसी सांसद को यह राशि खुद खर्च करने का अधिकार नहीं है. वह इस राशि को खर्च करने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी या उपायुक्त से अनुशंसा करता है. 

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