प्रतिभाओं को अनुकूल माहौल दीजिए

On the one hand Trump policy might have negative effect on Indian going towards USA but on other India should use this opportunity to create favourable environment s here so  that talent retain here and contribute towards productivity of India.

#Dainik_Tribune

H1 B VISA & INDIAN

भारतीय इंजीनियरों द्वारा अमेरिका में पलायन करने के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा जारी एच1-बी वीजा का उपयोग किया जाता है। इस वीजा के अंतर्गत विदेशी इंजीनियरों को 6 वर्षों तक अमेरिका में काम करने की छूट होती है। इस वीजा को जारी करवाने के लिए अमेरिकी कंपनियों को अमेरिकी सरकार को अर्जी देनी होती है। उन्हें प्रमाणित करना होता है कि वांछित क्षमता के इंजीनियर अमेरिका में उपलब्ध नहीं है इसलिए इन्हें विदेशी इंजीनियरों को रखने की अनुमति दी जाए। इस वीजा का उपयोग करके हर वर्ष एक लाख से अधिक भारतीय इंजीनियर अमेरिका चले जाते हैं।

Negative effect on American Economy

इस पलायन के अमेरिका पर दो विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। सुप्रभाव यह पड़ता है कि अमेरिकी कंपनियों को श्रेष्ठ क्वालिटी के इंजीनियर उपलब्ध हो जाते हैं। ये इंजीनियर अच्छी क्वालिटी के उत्पाद बनाते हैं जैसे नई दवाओं का आविष्कार करते हैं अथवा अच्छे सॉफ्टवेयर तैयार करते हैं। इनके इस योगदान से अमेरिकी कंपनियां विश्व में आगे निकल जाती है। दूसरी तरफ अमेरिकी इंजिनियरों पर इस पलायन का दुष्प्रभाव पड़ता है। अमेरिकी कंपनियों की लगातार आलोचना होती रही है कि ये एच1-बी वीजा का दुरूपयोग करके सस्ते भारतीय इंजीनियरों को नौकरी देते हैं और तुलना में महंगे अमेरिकी इंजीनियर बेरोजगार रह जाते हैं। तर्क है कि अमेरिका में उच्च कोटि के इंजीनियर उपलब्ध हैं। केवल मुनाफे के चलते एच1-बी के अंतर्गत भारतीय इंजीनियरों का आयात किया जाता है।

How Americans are viewing Indian Migration in Trump era

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस बारे में बताए गए दुष्प्रभाव को ज्यादा महत्व दिया है। उन्होंने एच1-बी वीजा जारी करने के नियमों को सख्त बनाना चालू कर दिया है। इस दिशा में उन्होंने तीन परिवर्तन किए हैं। पहला यह कि वीजा धारक को उसी कंपनी के लिए कार्य करना होगा जिसके द्वारा एच1-बी वीजा की अर्जी पर वीजा जारी हुआ है। अकसर अमेरिकी कंपनियां बड़ी संख्या में एच1-बी वीजा जारी करा लेती हैं। उसके बाद भारत से आए इंजीनियरों को मनचाही अमेरिकी कंपनी को स्थानान्तरित कर देती हैं। दूसरे, पूर्व में एच1-बी वीजा धारक के पति अथवा पत्नी को आसानी से अमेरिका में कार्य करने की इजाजत मिल जाती थी। तीसरा, अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के परिजनों को अमेरिका में प्रवेश देने पर ट्रम्प प्रतिबंध लगा रहे हैं। इन कदमों से भारतीय इंजीनियरों के लिए अमेरिका में प्रवेश करना कठिन हो जाएगा।


दरअसल ट्रम्प द्वारा उठाया गया यह कदम अमेरिकी कंपनियों के लिए हानिप्रद होगा। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठतम इंजीनियरों की मांग है। जैसे किसी कंपनी द्वारा सॉफ्टवेयर बनाने की टीम में तीन भारतीय, दो अमेरिकी , एक मेक्सिकन, दो इजराइली, एवं एक पाकिस्तानी नागरिक हैं।
कंपनी वैश्विक स्तर पर टैलेन्ट खोजती है। अब यदि केवल अमेरिकी इंजिनियरों से काम लेना हो तो भारतीय आदि विदेशियों की उत्कृष्ट क्षमता से कंपनी वंचित हो जाएगी और कंपनी की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में खड़े रहने की ताकत का हृास होगा। तत्काल अमेरिकी इंजीनियरों को मिलने वाले रोजगार अवश्य बढ़ेंगे परन्तु 2-4 सालों में ही अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक ताकत कम हो जाएगी और वे विश्व बाजार में पिछड़ेंगी।

बहरहाल यह अमेरिका की बात है। हमें देखना है कि हम ट्रम्प की नई नीति का सामना किस प्रकार करें। एच1-बी पर प्रतिबंध लगाने से भारतीय इंजीनियरों का अमेरिका को पलायन कम होगा। इसका भारत पर सीधे दुष्प्रभाव पड़ेगा। जैसे गांव का युवा शहर को पलायन न कर पाए तो शहर से भेजी जाने वाली रकम से गांव वंचित हो जाएगा। लेकिन वही युवा यदि गांव में रहकर दुकान अथवा कुटीर उद्योग लगाए तो गांव पर तमाम सुप्रभाव पड़ेंगे। गांव की आय बढ़ेगी। दुकान में 2-3 युवाओं को रोजगार मिलेगा। यानी गांव पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि गांव की सुविधाएं कैसी है। मेरे पास हाल में एक 30 साल के व्यक्ति रोजगार मांगने आए। वे 10,000 रुपए प्रतिमाह पर किसी कंपनी में कार्यरत हैं। उन्होंने गांव से पलायन किया और रोजगार पाया लेकिन उनके छोटे भाई ने गांव में ही कंस्ट्रक्शन मेटीरियल की दुकान लगा ली।

उन्होंने पलायन नहीं किया। आज उन्होंने कमाई से निजी मकान बना लिया है जबकि पलायनकर्ता किराए के मकान में रह रहे हैं। इसी तरह भारतीय इंजीनियरों पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत में सुविधाओं की क्या स्थिति है। सुविधायें पुष्ट होंगी तो पलायन के अभाव में सक्षम भारतीय इंजीनियर भारत में नई कंपनियां लगाएंगे और भारत को उसी तरह बढ़ाएंगे जैसे कंस्ट्रक्शन मेटीरियल की दुकान लगाकर युवा ने किया है। इसके विपरीत एच1-बी वीजा पर वही प्रतिबंध भारत के लिए हानिकारक हो जाएगा यदि सुविधाएंं कमजोर होंगी।

India should create favourable environment?

भारत सरकार की ट्रम्प के प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया को उपरोक्त पृष्ठभूमि में देखना होगा। यदि हमारी संस्थाएं लचर हैं तो एच1-बी पर सख्ती हमारे लिए हानिप्रद होगी। तब हमारे इंजीनियर अमेरिका में रोजगार पैदा करके भारत को रेमिटेन्स नहीं भेज सकेंगे चूंकि ट्रम्प ने एच1-बी पर सख्ती की है। वे भारत में कंपनी बनाकर जीवन यापन कर सकेंगे चंूकि न्याय, पुलिस तथा बुनियादी संरचना लचर है। लेकिन यदि हमारी न्याय, पुलिस तथा बुनियादी संरचना उत्कृष्ट है तो हमारे इंजीनियर भारत में रोजगार करेंगे। ध्यान रहे कि हमारे इंजीनियरों के योगदान से अमेरिकी कंपनियां वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ी हैं।
अत: हमारे इंजीनियरों को घर पर ही सही वातावरण मिल जाए तो वे भारत में ही उत्कृष्ट कंपनियां बनाएंगे जो कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सफल होंगी। साथ-साथ अमेरिका को भारतीय इंजीनियर न मिलने से उनकी प्रतिस्पर्धा घटेगी। जिस प्रकार कबड्डी के एक खिलाड़ी के टीम बदलने से प्रतिद्वन्द्वी टीमों का भविष्य बदल जाता है, उसी प्रकार हमारे उत्कृष्ट इंजीनियरों के घर रहने से हम आगे निकल सकते हैं।
 

ट्रम्प ने अपनी पॉलिसी का सार्वजनिक ऐलान कर दिया है और वे इसे लागू कर रहे हैं। भारत सरकार के सामने दो रास्ते खुले हैं। एक रास्ता है कि अमेरिका से याचना करें कि एच1-बी पर सख्ती न की जाए, भारतीय इंजीनियरों का पलायन होता रहे, अमेरिकी कंपनियां वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बनी रहें, और हम पीछे पड़े रहें। दूसरा उपाय है कि ट्रम्प की पॉलिसी को सकारात्मक ढंग से लें और अपनी न्याय, पुलिस तथा बुनियादी संरचना को चुस्त करें, अपने इंजीनियरों के लिए भारत में धंधा करना आसान बनाएं, भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा करें और अमेरिका को पछाड़ें। तब आश्चर्य है कि वित्त मंत्री ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव से अनुनय विनय की है कि एच1-बी पर सख्ती न करें।
प्रतीत होता है कि भारत सरकार में साहस नहीं है कि अपनी संस्थाओं को ठीक करके देशको आगे ले जाएं। भारत सरकार अपने युवाओं का एक्सपोर्ट करके उनके द्वारा भेजी गई रेमिटेन्स पर जीना पसंद कर रही है।

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