भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 (fugitive economic offenders bill 2018)


मंत्रिमंडल ने संसद में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को रखने के वित्त  मंत्रालय के प्रस्ता व को अनुमति प्रदान कर दी है। इस विधेयक में भारतीय न्याकयालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्ति‍ को रोकने के लिए कड़े उपाय करने में मदद मिलेगी।


 ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्यर के ऐसे अपराध इस विधेयक के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आएंगे।


 प्रभाव:


    इस विधेयक से भगौड़ा आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून के राज की पुनर्स्थाेपना होने की संभावना है क्यों कि इससे उन्हेंय भारत वापस आने के लिए बाध्य् किया जाएगा और वे सूचीबद्ध अपराधों का कानूनी सामना करने के लिए बाध्यक होंगे। इससे ऐसे भगौड़ा आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई वित्तीाय चूकों में अंतर्विष्ट‍ रकम की उच्च तर वसूल करने में बैकों व अन्य  वित्तीाय संस्थयओं को भी मदद मिलेगी और ऐसी संस्थामओं की वित्तीय स्थिमति में सुधार होगा।
     यह आशा की जाती है कि भगौड़े अपराधियों द्वारा भारत और विदेशों में उनकी संपत्ति यों को तेजी से जब्तद करने के लिए उन्हें  भारत लौटने और सूचीबद्ध अपराधों के संबंध में कानून का सामना करने के लिए भारतीय न्याकयालयों के समक्ष पक्ष रखने के लिए एक विशेष तंत्र का सृजन हो सकेगा।
 विधेयक की मुख्यर-मुख्य  बातें:


किसी व्याक्तिू के भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्याैयालय के समक्ष आवेदन करना


    अपराध के जरिए भगौड़ा आर्थिक के रूप में घोषित व्यतक्तिी की संपत्तिष को जब्त  करना
    भगौड़ा आर्थिक अपराधी होने के आरोपित व्यघक्तिए को विशेष न्यापयालय द्वारा नोटिस जारी करना
    अपराध के फलस्वअरूप व्युआतपन्नत संपत्तिि के चलते भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए गए व्य क्ति  की संपत्तिक को जब्तू करना
    ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्तित सहित भारत और विदेशों में अन्यत संपत्ति  को जब्तष करना
    भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना, और
    अधिनियम के अंतर्गत जब्त  की गई संपत्ति  के प्रबंधन व निपटान के लिए एक प्रशासन की नियुक्ति‍ की जाएगी।


 तथापि, ऐसे मामले में जहां किसी व्यतक्ति  के भगौड़ा घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही की प्रक्रिया के समानांतर भगौड़ा आर्थिक अपराधी भारत लौट आता है और सक्षम न्या़यालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्थि़ति में प्रस्ता वित अधिनियम के अंतर्गत कनूनन कार्यवाही रोक दी जाएगी। सभी आवश्यहक संवैधानिक रक्षा उपाय जैसे अधिवक्तात के माध्यम से व्यिक्तिअ को सुनवाई का अवसर, उत्तवर दाखिल करने के लिए समय प्रदान करना, उसे भारत अथवा विदेश में समन भिजवाना तथा उच्चत न्याायालय में अपील करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा, कानूनी प्रावधानों के अनुपालन में संपत्तिच के प्रबंधन व निपटान के लिए प्रशासन की नियुक्तिं का भी प्रावधान किया गया है।


 नीति का क्रियान्व यन व लक्ष्यन:


वर्तमान कानूनों में व्यावप्त  कमियों के परिहार व भारतीय न्या यलों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनों की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्तिव के निरोधात्मपक तय करने के दृष्टिहगत, यह विधेयक प्रस्ताकवित किया जा रहा है। इस विधेयक में किसी व्य क्ति् को भगौड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में घोष्ज्ञि त करने के लिए इस विधेयक में एक न्यावयालय (धन-शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विशेष न्यासयालय) का प्रावधान किया गया है। भगौड़ा आर्थिक अपराधी से एक ऐसा व्य क्ति  अभिप्रेत है, जिसके विरूद्ध किसी सूचीबद्ध अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका है और जिसने आपराधिक कार्यवाही से बचने के लिए भारत छोड़ दिया है अथवा विदेश में रह रहा है और आपराधिक अभियोजन का समाना करने के लिए भारत लौटने से इंकार कर रहा है। आर्थिक अपराधों की सूची को इस विधेयक की तालिका में अंतर्विष्टर किया गया है। इसके अलावा, यह सुनिश्चिोत करने के लिए कि ऐसे मामले में न्याीयालयों पर कार्य का ज्या दा भार न पड़े, केवल उन्हींो मामलों की इस विधेयक की परिसीमा में लाया गया है, जहां ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए या अधिक की राशि अन्तंर्विष्ट  हो।


 पृष्ठ भूमि:


 आर्थिक अपराधियों के ऐसे अनेक मामले घटित हुए हैं जहां भारतीय न्या यालयों को न्या्य क्षेत्र से भागने, आपराधिक मामलों के शुरूआत की प्रत्यामशा अथवा मामले अथवा आपराधिक कार्यवाही को लंबित करने के दौरान आर्थक अपराधी भाग निकला है। भारतीय न्या यालयों के ऐसे अपराधियों की अनुपस्थि ति का कारण अनेक विषय परिस्थिीतियां उत्पतन्न‍ हुई हो, जैसे प्रथमत: इससे आपराधिक मामलों में जांच रूक सी जाती है, दूसरे, इससे न्याियालयों का मूल्य वान समय बर्बाद होता है, तीसरे, इससे भारत में कानून के राज का अवमूल्यषन होता है। इसके अलावा, आर्थिक अपराध के अधिकांश ऐसे मामलों में बैंक ऋणों की गैर-अदायगी शामिल होती है, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिेति बदतर हो जाती है। इस समस्याग की गंभीरता से निपटने के लिए कानून के वर्तमान सिविल और आपराधिक प्रावधान पूर्णत: पर्याप्त। नहीं हैं। अतएव, ऐसी कार्यवाहियों की रोकथाम सुनश्चिरत करने के लिए प्रभावी, तीव्रतम और संवैधानिक दृष्टित में मान्यत प्रावधान किया जाना आवश्य क समझा गया है। यहां उल्लेेखनीय है कि भ्रष्टातचार से संबंधित मामलों में गैर-दोषसिद्धि-आधारित संपत्तिथ के जब्त। करने की प्रवृत्तिह अपराध के प्रति यूनाइटेड नेशन्सम कन्वें शन (भारत द्वारा 2011 में मान्यत) से अनुसमर्थित है। विधेयक में इसी सिद्धांत को अंगीकार किया गया है। उपरोक्तन संदर्भ के मद्देनजर, सरकार द्वारा बजट 2017-18 में यह घोषणा की गई थी कि सरकार विधायी संशोधन लाने अथवा जब तक ऐसे अपराधी समुचित विधि न्याायालय मंच के समक्ष समर्पण नहीं करता, ऐसे अपराधियों की संपत्ति  को जब्त  करने के लिए नया कानून तक लाया जाएगा

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