Hydrocarbon exploration liscencing policy(एचईएलपी) के अंतर्गत सफल बोलीकर्ताओं को ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्रों की स्‍वीकृति देने के लिए अधिकार प्रदान करने की मंजूरी

 

सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेसपहल की तर्ज पर केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री तथा वित्‍त मंत्री को सचिवों की अधिकार प्राप्‍त समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बोली (आईसीबी) के बाद हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के अंतर्गत सफल बोलीकर्ताओं को ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्रों की स्‍वीकृति देने के लिए अधिकार प्रदान करने की मंजूरी दे दी है। एचईएलपी के अंतर्गत ब्‍लॉक एक वर्ष में दो बार दिये जाएंगे। अत: अधिकार सौंपने से ब्‍लॉक देने के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की पहल को प्रोत्‍साहन मिलेगा।(GSHINDI)

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प्रभाव :

  • NELP नीति के अंतर्गत सचिवों की अधिकार प्राप्‍त समिति बोली मूल्‍यांकन मानदंड (बीईसी) पर विचार करती है, जहां कहीं जरूरी हो बोलीकर्ताओं के साथ समझौता वार्ता करती है और ब्‍लॉक देने के बारे में सीसीईए को सिफारिश करती है।
  • सीसीईए ब्‍लॉक देने की मंजूरी देती है। मंत्रालय में विचार-विमर्श सहित समूची प्रक्रिया काफी लंबी है और इसमें काफी समय लगता है।
  • सरकार कीईज ऑफ डूइंग बिजनेसपहल के साथ सामंजस्‍य स्‍थापित करने के लिए यह जरूरी है कि ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्र देने के समय की अवधि में कमी लाई जाए। नई हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति के अंतर्गत प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बोली जारी रहेगी और प्रत्‍येक वर्ष में दो बार ब्‍लॉक दिये जाएंगे।

पृष्‍ठभूमि

  • सरकार ने हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (Hydrocarbon exploration liscencing policy) के नाम से अन्‍वेषण और उत्‍पादन (ई और पी) के लिए एक नई नीतिगत व्‍यवस्‍था शुरू की, जो पूर्व की नीतिगत व्‍यवस्‍था से हटकर आदर्श व्‍यवस्‍था है।
  • नई व्‍यवस्‍था की मुख्‍य विशेषताओं में राजस्‍व साझा करने का समझौता, अन्‍वेषण के लिए एकल लाइसेंस, परम्‍परागत और गैर-परम्‍परागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों का उत्‍पादन, मार्केटिंग और मूल्‍य निर्धारित करने की आजादी शामिल हैं।
  • एचईएलपी के अंतर्गत खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) प्रमुख नई व्‍यवस्‍था है, जिसमें निवेशक अपनी दिलचस्‍पी के ब्‍लॉक निकाल सकता है और पूरे वर्ष रूचि-प्रकटन दे सकता है। जिन क्षेत्रों के लिए रूचि-प्रकटन दिया गया है, वहां हर छह महीने में बोली लगाई जाएगी।

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