हिमाचल प्रदेश में आधार पंजीकरण शत-प्रतिशत

हिमाचल प्रदेश आधार पंजीकरण में शत-प्रतिशत लक्ष्य अर्जित करने वाला देश का छठा राज्य बन गया है। देश के पहाड़ी राज्यों में विकास के मामले में मॉडल राज्य बनकर उभरे इस उत्तर भारतीय राज्य ने वर्ष 2015 में एकत्रित जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर लगभग 72,52,880
नागरिकों को आधार कार्ड प्रदान करके 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया है। इससे पहले मात्र दिल्ली ,
तेलंगाना , हरियाणा, पंजाब तथा चण्डीगढ ही इस मील के पत्थर को हासिल कर पाए हैं।                                

आधार है क्या और लोगों के लिए यह क्यों जरूरी है: --                               

  • आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान पत्र है। इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है। यह संख्या , भारत में कहीं भी , व्यक्ति की पहचान और उसके पते का प्रमाण है। भारतीय डाक द्वारा प्राप्त और यू.आई.डी.ए.आई. की वेबसाइट से डाउनलोड किया गया ई-आधार दोनों ही समान रूप से मान्य हैं।
  • कोई भी व्यक्ति आधार के लिए नामांकन करवा सकता है बशर्ते वह भारत का निवासी हो और यू.आई.डी.ए.आई. द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करता हो , चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो और चाहे वह लड़का हो या लड़की हो। प्रत्येक व्यक्ति केवल एक बार नामांकन करवा सकता है। नामांकन निःशुल्क है। याद रहे, आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है तथा यह नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है।

आधार कार्ड के लाभ:----

1. आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति की जीवनभर की पहचान है।

2. आधार संख्या से आपको बैंकिंग , मोबाइल फोन कनेक्शन और सरकारी व गैर-सरकारी सेवाओं की सुविधाएं प्राप्त करने में सुविधा होगी।

3. यह किफायती तरीके व सरलता से ऑनलाइन विधि से सत्यापन योग्य है।
4. यह एक क्रम-रहित (रैण्डम) उत्पन्न संख्या है , जो किसी भी जाति, पंथ , मजहब एवं भौगोलिक क्षेत्र आदि के वर्गीकरण पर आधारित नहीं है।

5. आधार प्रत्येक भारतीय की 12 अंकों की एक विशिष्ट पहचान है

6. यह बायोमीट्रिक के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट पहचान सिद्ध करता है।
7. यह एक स्वैच्छिक सेवा है जिसका प्रत्येक निवासी फायदा उठा सकता है।

8. प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक ही विशिष्ट पहचान आधार नम्बर दिया जाएगा।                                                   

आधार कार्ड की आवश्यकता और उपयोग :----                                        

आधार कार्ड अब सभी चीजों के लिए जरूरी होता जा रहा है। पहचान के लिए हर जगह आधार कार्ड मांगा जाता हैं। आधार कार्ड के महत्व को बढ़ाते हुए भारत सरकार ने बड़े निर्णय लिए हैं , जिसमें आपके पास आधार कार्ड नहीं है तो वह काम होना मुश्किल होगा। इस कार्ड को कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता है , जबकि राशन कार्ड समेत कई और दूसरे प्रमाण पत्र के साथ कई तरह की गड़बड़ियां हुई है और होती रहती हैं।     

*आधार नंबर कहां-कहां अनिवार्य है:*---                                                       

1. पासपोर्ट जारी करने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है।

2. जनधन खाता खोलने के लिये

3. एलपीजी की सब्सिडी पाने के लिये

4. ट्रेन टिकट में छूट पाने के लिए

5. परीक्षाओं में बैठने के लिये (जैसे आईआईटी, जेईई के लिये)

6. बच्चों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिये

7. डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (लाइफ सर्टिफिकेट) के लिए आधार जरूरी

8. बिना आधार कार्ड के नहीं मिलेगा प्रॉविडेंट फंड

9. डिजिटल लॉकर के लिए आधार जरूरी

10. सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए भी अब आधार कार्ड को जरूरी कर दिया गया है।

11. छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति भी आधार कार्ड के जरिए ही उनके बैंक में जमा करवाई जाएगी।
12. सिम कार्ड खरीदने के लिये भी आधार जरूरी है।

13. आयकर रिटर्न रू आयकर विभाग ने करदाताओं को आधार कार्ड के जरिए आयकर रिटर्न की ई-जांच करने की सुविधा दी है।                                        

जहां तक हिमाचल प्रदेश में आधार पंजीकरण का प्रश्न है तो राज्य में विद्यमान जनसंख्या को आधार पंजीकरण के अन्तर्गत कवर करने के लिए राज्य के जिला उपमण्डल तथा विकास खण्डों में 240 स्थाई पंजीकरण केन्द्र स्थापित किए गए है। राज्य का अधिकांश हिस्सा ऊंचे पर्वतीय स्थलों से ढका है जिनकी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से दुर्गम , पिछड़े तथा जनजातीय क्षेत्रों की जनसंख्या को आधार पंजीकरण के अर्न्तगत लाने के लिए सरकारी मशीनरी को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। राज्य के जनजातीय क्षेत्र पांगी, भरमौर

,लाहौल स्पीति तथा किन्नौर क्षेत्र साल के अधिकांश समय में बर्फ से ढंके रहते है जहां एक ओर आवगमन के साधन अत्यन्त कठिन होते हैं , दूसरी ओर बर्फीले क्षेत्रों में लोगों से सम्पर्क साधना तथा उनके सरकारी योजनाओं से जोड़ना देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है। राज्य सरकार ने सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों तथा वृद्व , अपंग तथा असहाय लोगों को आधार पंजीकरण के अंतर्गत लाने के लिए 22 आधार मोबाईल वैनों को उतारा है जोकि लोगों को उनके घर-दरवाजे पर जाकर आधार पंजीकरण के अंतर्गत लाते है।                                     -

राज्य में 5 साल आयु तक के बच्चों को आधार पंजीकरण के अंतर्गत कवर करने के लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 780 कम्प्युटर टेबलेट प्रदान किए गए है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने शिशुओं को पौषाहार प्रदान करने के लिए इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में भेजती है तथा इन शिशुओं के दाखिले में इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में इन शिशुओं की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है जिसे आधार पंजीकरण में प्रयोग किया जाता है।            - गांव के केन्द्रीय स्थल में स्थापित इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति से अधिकारियों को उन बच्चों को आधार पंजीकरण में सहायता मिलती है।

सरकार ने सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम अन्तर्गत राज्य के स्वास्थ्य संस्थाओं में जन्म लेने वाले बच्चों के आधार पंजीकरण के लिए 20 टैबलेट प्रदान किए हैं , जोकि नवजात शिशु को आधार पंजीकरण के अन्तर्गत कवर करते हैं।

राज्य में शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आधार पंजीकरण के अन्तर्गत कवर करने के लिए सरकार ने शिक्षा संस्थाओं के परिसरों में आधार पंजीकरण शिविर आयोजित किए तथा छात्रों एवं अध्यापकों को आधार पंजीकरण से लिंक किया गया । राज्य के सभी छात्रों की छात्रवृति राशि आधार पंजीकरण से लिंक करके अब सीधे छात्रों के बैंक खाते में प्रदान की जा रही है।
-    राज्य में शत-प्रतिशत जनसंख्या को आधार पंजीकरण के अन्तर्गत कवर करने के बाद सरकार ने पायलट परियोजना के अन्तर्गत शिमला , हमीरपुर तथा कुल्लू जिलों में जन्में नवजात बच्चों को अस्पताल में ही आधार पंजीकरण के अंतर्गत कवर करके स्वास्थ्य संस्थान से डिस्चार्ज से पहले ही आधार नम्बर मुहैया करवाया जा रहा है। सरकार ने नवजात बच्चों के आधार पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियें को पर्याप्त प्राशिक्षण प्रदान करने के बाद टेबलेट तथा बायोमीट्रिक मशीनें प्रदान की है तथा सरकार ने उसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसके अर्न्तगत नवजात शिशु के माता-पिता के आधार कार्ड की बायोमीट्रिक मशीनों से पुष्टि कर के इसे बच्चे के जन्म से जोड़ दिया जाएगा। यह आधार कार्ड 5 साल तक वैध रहेगा जिसके बाद इसे नए सिरे से अपडेट करना पडे़गा। इसके अतिरिक्त , 0-5 वर्ष के बच्चों को कवर करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तैनात किया गया है। प्रदेश में राशन कार्डों पर उपभोक्ताओं के नाम व पते के साथ-साथ आधार कार्ड नंबर भी दर्ज होगा। सभी सरकारी राशन दुकानों से सब्सिडी पर राशन लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने इस प्रक्रिया के अंतर्गत सभी लोगों को 30 जून तक अपना पंजीकरण पूरा करने का समय दिया है।
राज्य में पहले चरण में वर्ष 2012 तक लगभग 36.52 लाख लोगों को आधार पंजीकरण के अन्तर्गत कवर किया गया ।                                                         

राज्य में आधार पंजीकरण की शुरूआत हिमाचल दिवस पर 25 जनवरी, 2011 को राज्य सरकार तथा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के बीच हुए अनुबन्ध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शुरू की गई थी। इस पंजीकरण के लिए वर्ष 2011 में राज्य को चार खण्डों में बांटा गया ताकि प्रत्येक खण्ड में बराबर जनसंख्या रखी जा सके। पहले खण्ड में कांगड़ा तथा चम्बा दूसरे खण्ड में ऊना , हमीरपुर , विलासपुर , तीसरे खण्ड में मण्डी, कुल्लू , लाहौल स्पीति तथा चौथे खण्ड में शिमला ,
सोलन , सिरमौर तथा किन्नौर रखे गए। प्रत्येक खण्ड के लिए एक इनरोलमैंट एजेन्सी बनाई गई तथा प्रत्येक पंचायत स्तर पर इनरोलमैंट सेंटर स्थापित किए गए। प्रत्येक इनरोलमैंट स्टेशन पर दो लैपटॉप, फिंगर प्रिंट ,स्कैनर , इरिश स्कैनर तथा आधुनिक कैमरा प्रदान किए गए।                                           

राज्य में अक्टूबर 2013 तक 75 प्रतिशत जनसंख्या को आधार पंजीकरण के अंतर्गत कवर करके देश के आठ अग्रणी राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा ली थी। शत प्रतिशत आधार पंजीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला पहाड़ी राज्य बन गया है।               -

उल्लेखनीय है कि इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले बाकी सभी मैदानी राज्य हैं , जिनके मुकाबले हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यन्त कठिन है तथा बर्फवारी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से वर्किंग सीजन भी काफी कम है।

साभार : विशनाराम माली 

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