कोराेना काल में पोषण

भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डा. यास्मीन अली हक, विश्व खाद्य कार्यक्रम के भारत प्रतिनिधि बिशोह पारोजली, विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारत कंट्री प्रमुख पेडेन और खाद्य व कृषि संगठन के भारत प्रतिनिधि टोमियो ने एक लेख में भारत सरकार को कोविड-19 महामारी में संवदेनशील बच्चों और महिलाओं की पोषाहार जरूरतों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 6 कदम उठाने के लिए कहा है।

  • पहले कदम में मातृ, नवजात और छोटे बच्चों के लिए पौष्टिक आहार के कामों को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए कहा गया है। इस संकट में भारत सरकार ने महिलाओं व बच्चों के पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, उनका पालन बराबर, गहनता से हो और इसके साथ उसकी कवरेज भी पूरी हो व गुणवत्ता भी बनी रहे, अधिक से अधिक प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है। पौष्टिक टेक होम राशन सरकार की प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। प्रतिरक्षण प्रणाली को बनाने के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन खाने के महत्व वाला संदेश पहुंचाने के वास्ते संचार संबंधी प्रयासों को गहन करने की जरूरत है।
  • दूसरे कदम में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को संरक्षित करने व खाद्य सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के बारे में है। भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अधिकतर संवेदनशील आबादी की इस तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के अंदर ही कई बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है। जो लोग खाद्य कमी का सामना कर रहे हैं, जैसे कि प्रवासी मजदूर, उन पर फोकस होना चाहिए।
  • तीसरा कदम अत्याधिक कुपोषित मामलों की देखभाल को लेकर है। इस संकट ने बहुत से संवेदनशील परिवारों के लिए पौष्टिक आहार की उपलब्धता व उस तक पहुंच को कम कर दिया है, जिसके कारण छोटे बच्चों में अत्याधिक कुपोषण बढ़ने की संभवाना व्यक्त की जा रही है।
  • चौथा कदम सूक्ष्म पोषक वाले पूरकों में तेजी लाने बावत है। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोर बच्चों के लिए, सूक्ष्मपोषक तत्वों की कमी को रोकने व उसके इलाज वाले कार्यक्रम नियमित सेवाओं के वितरण के जरिए जारी रहने चाहिए।
  • पांचवें कदम में स्कूल में भोजन और पोषण की व्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाए पर रोशनी डाली गई है। यह जरूरी भी है क्योंकि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए स्कूल लंबे समय से बंद हैं।
  • छठा बिंदु पोषण निगरानी को स्थापित करने वाला है, ताकि डेटा के जरिए पता चल सके कि किस तक पोषण सामग्री नियमित पहुंच रही है व किस तक नहीं। राज्य व जिला स्तर पर मातृ व बाल पोषण के नियमित संग्रह व विश्लेषण का यह डेटा कहां पर कुपोषण बढ़ रहा है, इसकी पहचान करने में मदद करेगा। आबादी का वो तबका जो सबसे अधिक संवेदनशील है, खासतौर पर जो आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, उनकी निगरानी करना बहुत ही अहम है, ताकि उन्हें सरकारी सेवाओं से जोड़ा जा सके।
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  • Reference: https://www.haribhoomi.com/
     

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