सैमसंग ने उठाया कृत्रिम मानव से पर्दा

सैमसंग ने उठाया कृत्रिम मानव से पर्दा

  • कृत्रिम बुद्घिमत्ता (एआई) की दुनिया में चैट बोट्स और सिरी तथा एलेक्सा जैसे पर्सनल असिस्टेंट्स के बाद तकनीकी क्षेत्र के दिग्गज अब कृत्रिम मानव बनाने की संभावना तलाश रहे हैं। हालांकि इस योजना को साकार होने में कुछ समय या शायद कुछ साल तक इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की दिग्गज सैमसंग स्टार लैब्स जाने-माने कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रणव मिस्त्री की अगुआई में इस क्षेत्र में कुछ अहम प्रगति हासिल की है। अब तक गुपचुप तरीके से काम कर रहे लैब्स ने अमेरिका के लास वेगस में हो रहे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो में आज दुनिया के पहले 'कृत्रिम मानव' की झलक पेश की। लैब्स ने इसे निऑन नाम दिया है।
  • निऑन - निओ (नया) और ह्यूमैन (मानव) शब्द को मिलाकर बनाया गया है। लैब्स का दावा है कि यह कंप्यूटरीकृत कृत्रिम मानव है, जो दिखने और व्यवहार में एकदम असली मानव की तरह है। यह भावनाएं प्रकट कर सकता है और वास्तविक मनुष्य की तरह बुद्घिमानी और हमदर्दी जता सकता है। निऑन लक्ष्य-केंद्रित कामों में मदद कर सकता है और इसे उन कामों में मदद के लिए तैयार किया जा सकता है जिसमें मानवीय संवेदनाओं की जरूरत होती है, जैसे कि शिक्षक, वित्तीय सलाहकार, अभिनेता, वक्ता या टेलीविजन के एंकर। इस परियोजना के पीछे स्टार लैब्स के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी मिस्त्री का दिमाग है। मिस्त्री ने स्पष्टï किया कि निऑन के उत्पादन में अभी वक्त लगेगा क्योंकि लैब्स कुछ मुख्य प्रौद्योगिकी को तैयार करने में जुटा है। सिक्स्थ सेंस और सैमसंग ग्लैक्सी गियर जैसी अत्याधुनिक तकनीक के जनक मिस्त्री ने कहा, 'हम इस तकनीक पर लंबे समय से काम कर रहे हैं और दुनिया को इसकी झलक पेश करने के लिए सही समय से पहले हम इसे अपने तक सीमित रखना चाहते थे।' उन्होंने कहा, 'इसके पूरी तरह से तैयार होने में कुछ वर्ष या दशक भी लग सकते हैं। हम इसे लेकर इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि इसमें कई दिलचस्प चीजें शामिल होंगी जो निऑन को एकदम अलहदा बनाएगा।'       
  • निऑन में अलग क्या होगा, पूछे जाने पर मिस्त्री ने कहा कि यह एआई असिस्टेंट या कोई अन्य वॉयस असिस्टेंट की तरह नहीं होगा, बल्कि इसमें इंसानी पहलू शामिल होगा और इससे बात करने के दौरान ऐसा लगेगा जैसे कोई वास्तविक आदमी से बात हो रही है। अन्य एआई उपकरण इंटरनेट इंटरफेस पर काम करते हैं और सवालों के जवाब सर्च करके देते हैं। लेकिन निऑन के मामले में कंपनी का दावा है कि इसमें मानव की भावनाएं और अभिव्यक्ति अहम पहलू होंगी, जो कंपनी के कोर आर3 तकनीकी प्लेटफॉर्म पर आधारित होगा। कोर आर3 कई तकनीक का संयोजन है, जिनमें व्यवहारात्मक तंत्रिका नेटवर्क (बीएनएन), ईजीआई और कंप्यूटेशनल रियलिटी शामिल है, जो निऑन को जीवंत रियलिटी और रियल-टाइम रिस्पॉन्स प्रदान करेगी। मिस्त्री ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म पहले कैप्चर किए गए डेटा को वॉयस या फेस प्रदान कर सकता है और यह वास्तविक आदमी की तरह 20 मिली सेकंड से भी कम समय में इंटरेक्ट कर सकता है।
  • आईआईटी बंबई और मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के पूर्व छात्र रहे मिस्त्री ने कहा, 'इसके पीछे हमारा विचार यह है कि निऑन केवल अन्य रोबोट की तरह काम नहीं करे क्योंकि लोगों के पास यह पहले से मौजूद है। लोगों के पास फोन में एआई उपलब्ध है। हम निऑन को तकनीक के साथ मानव स्पर्श वाला बनाना चाहते हैं। यह आपके दोस्त की तरह है जो आपसे बात करेगा।'
  • निऑन फिलहाल थर्ड-पार्टी मूल्यवर्धित सेवा प्रदाताओं या यूजर्स द्वारा मुहैया कराए गए निर्दिष्टï जानकारी या इंटेलिजेंस जैसे विषयों को समझ सकता है। उदाहरण के लिए अगर आईसीआईसीआई बैंक अपने यहां निऑन को प्रतिनिधि के तौर पर रखना चाहे तो वे इस क्षेत्र की जानकारी मुहैया करा सकते हैं और निऑन इंटरफेस की तरह काम कर सकता है।
  • अगले चरण में लैब्स आगामी तकनीकी प्लेटफॉर्म स्पेक्टरा का इस्तेमाल कर इसे और बुद्घिमान बनाने पर काम कर रहा है। स्पेक्टरा को इस साल के अंत में नियोवल्र्ड 2020 में पेश किया जा सकता है। निऑन को ज्यादा दक्ष बनाने में स्पेक्टरा की अहम भूमिका होगी और इसकी मदद से यह इंटरैक्ट कर सकेगा और सही भावनाओं के साथ यह चीजों को याद रख सकेगा। मिस्त्री ने कहा, 'कोर आर3 प्लेटफॉर्म में निऑन के विजुअल पहलू पर ध्यान दिया गया जबकि स्पेक्टरा के साथ यह बुद्घिमता, याददाश्त, भावनाएं और संबंधित क्षेत्र की जानकारी आदि से लैस होगा।'
  • कंपनी भारत सहित विभिन्न साझेदारों से साल के अंत में इसका बीटा परीक्षण करने के लिए बात कर रही है। लेकिन बाजार में इस उत्पाद को आने में अभी वक्त लगेगा। मिस्त्री ने कहा कि यह चरणबद्घ तरीके से होगा। उन्होंने कहा, 'निऑन अभी बाजार के लिए तैयार नहीं है। इस साल हमारा ध्यान दुनिया भर में अपने कुछ विशेष साझेदारों के साथ इसका बीटा परीक्षण करने पर है, जिससे हमें इसमें आगे के सुधार के लिए उचित प्रतिक्रिया मिल सके।

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