माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019’

  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019’
  • माता-पिता या अपने संरक्षण वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ जानबूझकर र्दुव्‍यवहार करने या उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ देने वालों के लिए छह महीने के कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें वृद्धाश्रमों और उसके जैसी सभी संस्थाओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही उन्हें न्यूनतम मानकों का पालन भी करना होगा।
  • र्दुव्‍यवहार में अनदेखी भी शामिल : विधेयक में ‘र्दुव्‍यवहार को परिभाषित किया गया है जिसमें शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक र्दुव्‍यवहार के साथ-साथ अनदेखी और उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ना शामिल है। इसके अलावा हमला करना, चोट पहुंचाना, शारीरिक या मानसिक कष्ट देना भी र्दुव्‍यवहार में शामिल है।
  • बच्चों में दामाद व बहू भी : बिल में माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के ‘बच्चों से आशय उनके पुत्र-पुत्री (जैविक, दत्तक या सौतेले), दामाद, बहू, पोते, पोती और नाबालिग बच्चों के कानूनी अभिभावक शामिल हैं।
  • हर राज्य में भरण पोषण अधिकारी : भरण पोषण आदेश के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार भरण पोषण अधिकारी नियुक्त करेगी। माता-पिता या बुजुर्गो के लिए उक्त अधिकारी समन्वयक के तौर पर कार्य करेगा। जरूरत पड़ने पर टिब्यूनल भरण पोषण का मामला मध्यस्थता अधिकारी को संदर्भित कर सकेगा जिसे 15 दिनों के भीतर सिफारिशें देनी होंगी। भरण पोषण राशि तय करते समय टिब्यूनल बुजुर्गो के जीवन स्तर,उनकी आय या उनके बच्चों की आय पर विचार कर सकता है।
  • भरण पोषण राशि नहीं देने पर जुर्माना : टिब्यूनल को माता-पिता या बुजुर्गो का भरण पोषण नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाने का अधिकार भी होगा। जुर्माना अदा नहीं करने पर उन्हें राशि अदा करने तक या अधिकतम एक माह जेल काटनी पड़ सकती है।
  • हर प्रदेश में हेल्पलाइन नंबर : सरकार को यह सुनिश्चित करने का हक दिया गया है कि अस्पतालों में बुजुर्गो के लिए बेड आरक्षित हो। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के लिए अलग से एक हेल्पलाइन नंबर होगा।
  • टिब्यूनल 90 दिनों में करेगा निपटारा
  • वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और सहायता के दावे दाखिल करने के लिए एक टिब्यूनल की स्थापना का प्रावधान भी किया गया है। 80 साल से ज्यादा के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा 60 दिन के भीतर किया जाएगा। सिर्फ अवपाद वाले मामलों में यह अवधि केवल एक बार अधिकतम 30 दिन के लिए बढ़ाई जा सकेगी। लेकिन इसके लिए टिब्यूनल को कारण लिखित में दर्ज करना होगा। 80 साल से कम के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा टिब्यूनल को 90 दिनों के भीतर करना होगा।
  • प्रत्येक थाने में नोडल अधिकारी
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों के लिए हर पुलिस थाने में एक नोडल अधिकारी तैनात होगा जो एएसआइ रैंक से नीचे का नहीं होगा। साथ ही हर जिले में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए एक विशेष पुलिस इकाई होगी जिसका प्रमुख कम से कम डीएसपी रैंक का अधिकारी हो

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download