1948 में आज ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर इस दिवस को मनाने की बात कही। इस बार इसकी थीम है-मानवाधिकारों के लिए युवा आगे आएं। भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया था।
पश्चिमी विचारकों ने मानवाधिकार का प्रथम लिखित दस्तावेज 1215 में ब्रिटेन के शासक जॉन द्वारा कतिपय मानव अधिकारों को मान्यता देने वाले उस घोषणापत्र को माना है, जो विश्व भर में मैग्नाकार्टा के नाम से प्रसिद्ध है। उत्तर आधुनिक युग में द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका, जिसमें मानवीय मूल्यों की अपरिमित क्षति हुई थी, के उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को एक प्रस्ताव पारित करके मानवाधिकारों की वैश्विक घोषणा को अंगीकार किया गया। भारत उन शुरुआती देशों में शामिल था, जिसने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे।यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि भारत में मानवाधिकार की अवधारणा उतनी ही पुरानी है जितनी कि इसकी सभ्यता और संस्कृति।