किसानों की आय को दोगुना करने और खाद्य सुरक्षा की राह में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा हो गया है, जिसका असर साल दर साल दिखाई देने लगा है। खेती के विभिन्न आयामों को पुख्ता बनाने की दिशा में जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ते तापमान से सबसे अधिक खतरा है|
- गर्मी बढ़ने से खाद्यान्न की पैदावार प्रभावित होने की संभावना है जिससे वैज्ञानिकों ने सरकार को पहले ही आगाह कर दिया है।
- इसका असर लघु व सीमांत किसानों के साथ मछुआरों और पशु पालक पर पड़ेगा।
- गेहूं व धान की फसल की पैदावार घटी तो इसके आयात पर निर्भरता बढ़ सकती है।
- देश की अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
सरकार के द्वारा उठाये गए कदम और क्या कदम उठाए जाने की संभावना
- आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में इस चुनौती से निपटकर फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार का अनुसंधान व विकास पर सबसे ज्यादा जोर होगा। इस मद में आठ सौ करोड़ रुपये के बजट आवंटन की संभावना है।
- कृषि की सेहत सुधारने के लिए ही सरकार ने पिछले सालों के बजट में कृषि उपकर लगाया था, जिसके नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं।
- सरकार खेती को लाभदायक बनाने और किसानों की आमदनी को दोगुना करने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। खेती की प्रमुख चुनौती जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकारी खजाने में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है
- जलवायु परिवर्तन करने वाले प्रमुख तत्व कार्बन उत्सर्जन में खेती का योगदान 18 फीसद तक है। इसमें धान की खेती, फर्टिलाइजर का अंधाधुंध प्रयोग और फसलों की पराली जलाना प्रमुख है। केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए मिट्टी की जांच से लेकर प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, जैविक खेती, कृषि वानिकी, फसल अवशेष प्रबंधन और खादों का संतुलित प्रयोग आदि उपाय शुरू किये हैं