सिक्किम को भले ही देश का पहला जैविक राज्य घोषित कर दिया गया हो लेकिन अब भी जैविक खेती की राह में अनेक अड़चनें हैं।
- जैविक और गैर-जैविक कृषि उत्पादों के बीच कीमतों में अंतर के साथ-साथ जटिल प्रक्रिया की वजह से जैविक उत्पादों का उत्पादन करने को लेकर किसानों के बीच दिलचस्पी की कमी की वजह से फिलहाल यह दूर की कौड़ी है।
- जैविक खाद्य उत्पादों की कीमत गैर-जैविक उत्पादों के मुकाबले 40 फीसदी अधिक है, ऐसे में कीमतों में अंतर की वजह से इन उत्पादों की मांग सीमित ही रहेगी।
* भारत में फिलहाल 7.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है जहां जैविक खेती से होने वाला उत्पादन करीब 12.4 करोड़ टन है। जैविक उत्पादों का बाजार मौजूदा 3,000 करोड़ रुपये से अगले पांच साल में बढ़कर 6,000 करोड़ रुपये का हो जाने की संभावना है।
=>अधिक कीमतों का होना भी एक बड़ी बाधा :-
- हालाँकि'जैविक खाद्य उत्पादों के लिए जागरूकता पूरे देश में बढ़ रही है लेकिन फिर भी *** कीमतें अधिक होने की वजह से इन उत्पादों का बाजार उतना बड़ा नहीं है। ये जैविक खेती की राह में भारत के लिए ऐसी प्रमुख बाधा है जिस पर गौर करने की जरूरत है।
2. चूंकि उत्पादन सीमित है इसलिए इसकी लागत 40 फीसदी तक बढ़ जाती है।
**हालांकि किसानों को जैविक खेती में 20 फीसदी अधिक प्रतिफल प्राप्त हो रहा है इसके बावजूद ज्यादातर किसान जटिल प्रक्रिया की वजह से जैविक उत्पादों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
** फिलहाल भारत में करीब 6,00,000 किसान जैविक खेती में लगे हुए हैं जबकि भारत में खेती करने वाले किसानों की संख्या 11.9 करोड़ है।
** कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक जैविक प्रमाणन के अंतर्गत खेती योग्य जमीन के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ दस देशों में से 10वें** पायदान पर है।
- वर्ष 2013-14 तक जैविक प्रमाणन के दायरे में कुल 47.2 करोड़ हेक्टेयर जमीन थी। प्रमाणित क्षेत्र में 7,20,000 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन शामिल है और इसकी हिस्सेदारी महज 15 फीसदी है जबकि 85 फीसदी क्षेत्र जंगल है।