कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह सकल घरेलू उत्पाद में 16 प्रतिशत का योगदान देती है, 52 प्रतिशत रोजगार देती है और 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को आजीविका प्रदान करती है।
- राष्ट्र की सभी खाद्य एवं पोषाहारीय आवश्यकता के लिए उत्पादन करती है और कुछ मुख्य उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करती है। पर मौसम की स्थितियों पर भारी निर्भरता और इसका लम्बा उत्पादन चक्र कृषि को जोखिम पूर्ण आर्थिक कार्यकलाप बनाते हैं।
- प्रौद्योगिकीय और आर्थिक प्रगति के बावजूद किसानों की स्थिति प्राकृतिक आपदाओं तथा पैदावार में उतार-चढ़ाव तथा साथ में कृषि उत्पाद एवं मूल्य में उतार चढाव के कारण जोखिम भरा एवं अस्थिर है।
- यद्यपि किसान मानसून में अनिश्चितता के कारण फसल उत्पादन के जोखिमों को कम करने के लिए परम्परागत और उन्नत प्रौद्योगिकीय एवं संवर्धनात्मक पद्धतियों दोनों को ही अपना रहे हैं, तथापि फसल बीमा योजनाओं को, विभिन्न प्राकृतिक और किसानों के व्यक्तिक नियंत्रण से बाहर के मानव घटनाओं, से उत्पन्न उत्पादन आय के जोखिमों को प्रभावी समाधान के लिए महत्पूर्ण तंत्र के रूप में माना जाता है।
प्रधानमंत्री नई फसल बीमा योजना :-
- यह योजना खरीफ 2016 से लागू होगी।
· किसानों के लिए बीमा योजनाएं समय-समय पर बनती रहीं हैं, किंतु इसके बावजूद अब तक कुल कवरेज 23 प्रतिशत हो सका है।
· सभी योजनाओं की समीक्षा कर अच्छे फीचर शामिल कर किसान हित में और नए फीचर्स जोड़कर फसल बीमा योजना बनाई गई है । इस प्रकार यह योजना पुरानी किसी भी योजना से किसान हित में बेहतर है।
· प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के अनुसार किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि बहुत कम कर दी गई है जो निम्नानुसार हैः-
क्र. सं..... फसल....... किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार (बीमित राशि का प्रतिशत)
1 ... खरीफ ..... 2.0%
2.........रबी ...............1.5%
3 ..... वार्षिक वाणिज्यिक एवं बागवानी फसलें.......5%
.- उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में धान की फसल के लिए 22 प्रतिशत Actuarial Premium था। किसान को 30 हजार रुपए के Sum Insured पर कैप के कारण मात्र 900 रुपए और सरकार को 2400 रुपए प्रीमियम देना पड़ता था। किंतु शतप्रतिशत नुकसान की दशा में भी किसान को मात्र 15 हजार रुपए की दावा राशि प्राप्त होती।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 30 हजार Sum Insured पर 22 प्रतिशत Actuarial Premium आने पर किसान मात्र 600 रुपए प्रीमियम देगा और सरकार 6000 हजार रुपए का प्रीमियम देगी। शतप्रतिशत नुकसान की दशा में किसान को 30 हजार रुपए की पूरी दावा राशि प्राप्त होगी । अर्थात उदाहरण के प्रकरण में किसान के लिए प्रीमियम 900 रुपए से कम होकर 600 रुपए। दावा राशि 15000 रुपए के स्थान पर 30 हजार रुपए।
· बीमित किसान यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बोनी नहीं कर पाता तो यह जोखिम भी शामिल है उसे दावा राशि मिल सकेगी।
· ओला,जलभराव और लैण्ड स्लाइड जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा। पुरानी योजनाओं के अंतर्गत यदि किसान के खेत में जल भराव (पानी में डूब) हो जाता तो किसान को मिलने वाली दावा राशि इस पर निर्भर करती कि यूनिट आफ इंश्योरेंस (गांव या गांवों के समूह) में कुल नुक्सानी कितनी है। इस कारण कई बार नदी नाले के किनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुकसान के बावजूद किसानों को दावा राशि प्राप्त नहीं होती थी।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय हानि मानकर केवल प्रभावित किसानों का सर्वे कर उन्हें दावा राशि प्रदान की जाएगी।
· पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल ख्रेत में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी
· योजना में टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा जिससे की फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र और सही हो सके और किसानों को दावा राशि त्वरित रूप से मिल सके। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम की जाएगी।
- फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्कल स्मार्टफोन के माध्यम से अप-लोड कराए जाएंगे।