पहाड़ी इलाकों में मछली पालन : समावेशी विकास में योगदान

मछली पालन की संभावना :निचे दीये गए  पहलुओं को ध्यान में रखें तो पहाड़ी इलाकों में ठंडे पानी की मछलियों से संबंधित कारोबार के विकास की अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं| जैसे की 

  •  इन इलाकों में अपार जल संसाधन मौजूद है और ठंडे पानी में पाई जाने वाली मछलियों की पर्याप्त विविधता भी पाई जाती है।
  • भारत के पर्वतीय इलाकों में पाई जाने वाली अधिकांश मछलियां काफी पौष्टिक हैं और खाने में बेहद स्वादिष्ट भी होती हैं।
  • उच्च गुणवत्ता वाली प्रोटीन के अलावा इन मछलियों में अमीनो एसिड, आंशिक रूप से असंतृप्त वसा अम्ल और मूल्यवान खनिज भी पाए जाते हैं।
  • जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों तक फैले हिमालय के विशाल पर्वतीय इलाके में आठ हजार किलोमीटर लंबी नदियां और जलधाराएं मौजूद हैं।
  • इनके अलावा अनगिनत मानव-निर्मित जलाशय, झीलें और तालाब भी हैं। तमिलनाडु, केरल और पश्चिमी घाटों के ऊंचाई वाले इलाकों में भी बेशुमार जल क्षेत्र हैं जिनमें कई कीमती मछलियां पाई जाती हैं। 
  • देसी महसीर, स्नो ट्रॉउट, एक्सॉटिक ट्रॉउट और कार्प मछलियों को भारत के बाहर लोग काफी पसंद करते हैं।
  • सुनहरी महसीर, गहरे पानी की महसीर और चॉकलेटी रंग वाली महसीर की गिनती स्पोर्ट फिश के रूप में होती है।
  • उत्तर-पूर्वी पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली कुछ कार्प मछलियों में आकर्षक विशिष्टता भी पाई जाती है।
  • उत्तर-पूर्वी पहाड़ी राज्य सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाली मछलियों का एक तरह से भंडार-गृह है । उनका व्यावसायिक इस्तेमाल करने के लिए बहुत अधिक निवेश की भी जरूरत नहीं होती है और इसे युवा कारोबारी आसानी से अपना सकते हैं।                                                                                                     हांलांकि इन सभी कारोबारी संभावनाओं का दोहन करते समय हमें निम्न बातों  का  ध्यान रखना:        
  • पर्यावरण-अनुकूल और संपोषणीय तरीका ही अपनाया जाए।
  • इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि पर्वतीय क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ ही यह स्थानीय स्तर पर रोजगार और आय को बढ़ावा देने वाला भी होना चाहिए
  • इंसानी हस्तक्षेप के चलते नदियों और नालों में पानी का प्रवाह कम होना, नैसर्गिक आवास में कमी और जल प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आता है। इसे सावधानी से निपटना होगा ताकि प्रक्रति की नैसर्गिकता बनी रहे
  • जलवायु परिवर्तन इससे जुड़ा एक और खतरनाक पहलू है क्योंकि ठंडे पानी की मछलियां तापमान को लेकर काफी संवेदनशील होती हैं। पानी के गर्म होने से मछलियां अधिक ऊंचाई वाले इलाकों की तरफ जाने को मजबूर हो सकती हैं जहां पर जाना कठिन हो जाएगा। इनसे निपटने के लिए सोची-समझी रणनीति की दरकार होती है। 

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