धार्मिक स्थलों पर हादसों को कैसे रोका जाए

धार्मिक स्थलों पर दुर्घटनाओं की वजह- बढ़ती भीड़, कानून की अवहेलना और कुप्रबंधन है। धार्मिक स्थलों में अतिशबाजी पर प्रतिबंध के साथ ही सुरक्षा, जांच व उपचार की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।

1.भीड़ प्रबंधन तंत्र को विकसित किया जाये:- देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है, परन्तु धार्मिक स्थलों का क्षेत्रफल लगभग वही है, जो कभी उनके निर्माण के समय था। वहां जुटने वाली भीड़ हर आयोजन में काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
 अनुष्ठान के आयोजक व सरकारी प्रबंधक ऐसे मौकों पर श्रद्धालुओं की संख्या का सही अंदाजा नहीं लगा पाते। धार्मिक स्थलों पर दिनोंदिन बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। कोई भी मेला या आयोजन होता है तो एक दो-महीने पूर्व आयोजकों द्वारा सूचित कर श्रद्धालुओं का पंजीकरण करना चाहिए ताकि उचित प्रबन्ध हो सके।

2. कानून का पालन हो :-
- पहले भी धार्मिक स्थानों पर इस तरह की अनहोनी घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन हम अतीत से सबक लेने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं। हर जगह हमारी सुरक्षा व्यवस्था में खामियां पाई जाती हैं। कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं। 
- सुप्रीम कोर्ट ने रात दस बजे के बाद आतिशबाजी पर रोक लगा रखी है तो केरल के मंदिर में किसकी अनुमति से ऐसा किया गया ।

3. हादसों के सबक :-
- सामूहिक आयोजन वाले ऐसे कार्यक्रमाें में आयोजकों की पूर्ण जिम्मेवारी होनी चाहिए।
- पुलिस की सतर्कता और सुरक्षा का पूर्ण इंतज़ाम होना चाहिए। जब तक पुरानी गलतियों का विश्लेषण कर हम सख्त कायदे-कानून बनाकर जवाबदेही तय नहीं करेंगे, ऐसे हादसे होते रहेंगे। सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि हम कभी भी पुराने हादसों से सबक नहीं लेते।

4. सख्त कार्रवाई हो :-
- केरल के देवी मंदिर जैसे हादसों की पहले भी अनेक पर्वों और अवसरों पर पुनरावृत्ति होती रही है। अतीत से सबक लेकर सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए आयोजकों और प्रशासन की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये।

5.चूक का नतीजा :-
- केरल के पुत्तिंगल देवी मंदिर में हुए भीषण हादसे ने प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी। यद्यपि मंदिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र होता है। ऐसे में कहीं न कहीं चूक जरूर हुई है। ऐसे स्थानों पर सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद होने चाहिए।

- केरल स्थित कोल्लम के पुत्तिंगल मंदिर में आतिशबाजी से जो घटना घटी वह मंदिर प्रशासन की लापरवाही है। इतनी बड़ी तादाद में आतिशबाजी और सुरक्षा प्रबंधन में चूक लापरवाही का नतीजा है। ऐसे आयोजनों पर हर समय सुरक्षा के पुख्ता प्रबंधन, सुरक्षा उपकरण, अग्निशमन दस्तों की उपलब्धता, चिकित्सा व्यवस्था होनी चाहिए।

7. आपातकालीन व्यवस्था तंत्र को हरदम सजग रखा जाना चाहिए।

 

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