- दरअसल, ये बांड निवेशकों को सोना खरीदे बगैर, उसके भाव में लम्बे समय में होने वाली बढ़ोतरी का फायदा देने का जरिया है, वहीं सरकार के लिए ये आम लोगों से कर्ज लेने का एक माध्यम है.
- एक बांड एक ग्राम सोने के बराबर है. योजना के तहत कम से कम दो ग्राम यानी दो बांड और ज्यादा से ज्यादा आधा किलो यानी 500 यूनिट मे पैसा लगा सकते हैं.
- योजना का ऐलान पिछले साल बजट में हुआ था.
- बांड जारी करने के पीछे सरकार का मकसद सोने के आयात में कमी करना है. इस समय हर साल 1000 टन तक सोने का आय़ात होता है जिस पर भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है और इसका असर करंट अकांट के घाटे पर पड़ता है.
- अब सरकार को उम्मीद है कि आगे हालात बदलेंगे.
★★बांड की कीमत, जारी की जाने वाली तारीख के ठीक पहले के सप्ताह मे सात दिनों के औसत बंद भाव के आधार पर तय की जाती है. बांड की मियाद 8 साल तय की गयी है. मियाद पूरी होने की तारीख के ठीक पहले के सप्ताह मे सात दिनों के औसत बंद भाव के आधार पर आपको अपना निवेश वापस मिलेगा.
★चाहें तो पांच साल के बाद पैसा निकाल सकते है, लेकिन वहां भी यही फॉर्मूला लागू होगा. एक बात और, भाव चाहे जो भी हो, हर साल आपको अपने निवेश पर पौने तीन फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा.
★★ बांड खऱीदने के लिए बैंक या डाक घर जाना होता है. वहां सीधे या एजेंटें के जरिए आप पैसा लगा सकते हैं. निवेश के लिए केवाईसी के हर कायदे कानून को पूरा करना होगा. इसके लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन या पासपोर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
~ चाहे तो इस बांड को गिरवी रखकर कर्ज भी ले सकते हैं. और हां, बांड पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी.
★ बांड से जुटायी रकम का इस्तेमाल सरकार अपनी उधारी को पूरा करने के लिए करेगी, जबकि अभी बैंकों से पैसा जुटाया जाता है. अब होगा ये कि बैकों के पास नकदी ज्यादा होगी जिसके जरिए वो ज्यादा कर्ज तो दे ही पाएंगे, साथ ही ब्याज दर में भी कमी आ सकती है.