- एम्स ने एक बड़े अनुसंधान तहत हेपेटाइटिस-बी की रोकथाम और उसके संक्रमण से बचाव की दिशा में काम किया है
- एम्स के डॉक्टरों ने पॉलिकैप्रोलैक्टोन नामक पॉलीमर के नैनो कण (पार्टिकल) से हेपेटाइटिस-बी का ओरल वैक्सीन (टीका) तैयार करने में कामयाबी हासिल की है।
- पॉलिकैप्रोलैक्टोन एक ऐसा पॉलीमर है जिसका इस्तेमाल कृत्रिम अंग (प्रोस्थेटिक) बनाने में किया जाता है। विशेष तौर पर शरीर के किसी हिस्से में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में भी इससे तैयार इंप्लांट का इस्तेमाल होता है।
- यह बायोडिग्रेडेबल है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
क्या है हेपेटाइटिस बी
- हेपाटाइटिस बी वायरस (HBV) के काऱण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है
- सामान्य भाषा में इस रोग को लोग Jaundice या पीलिया भी कहते हैं।
क्या है नैनोतकनीकी
नैनो टेक्नोलॉजी वह अप्लाइड साइंस है, जिसमें 100 नैनोमीटर से छोटे पार्टिकल्स पर भी काम किया जाता है।
इस प्रौद्योगिकी से विनिर्माण, बायो साइंस, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स व रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है, क्योंकि इससे किसी वस्तु को एक हजार गुणा तक मजबूत, हल्का और भरोसेमंद बनाया जा सकता है। छोटे आकार, बेहतर क्षमता और टिकाऊपन के कारण मेडिकल और बायो इंजीनियरिंग में नेनौ टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही है। नेनौ टेक्नोलॉजी से इंजन में कम घर्षण होता है, जिससे मशीनों का जीवन बढ़ जाता है। साथ ही ईंधन की खपत भी कम होती है।
नैनो विज्ञान अति सूक्ष्म मशीनें बनाने का विज्ञान है। ऐसी मशीनें, जो इंसान के जिस्म में उतर कर, उसकी धमनियों में चल-फिर कर वहीं रोग का ऑपरेशन कर सकें। ऐसी मशीनें, जो मोबाइल को आपके नाखून से भी छोटा कर दें। जो ऐसी धातु बना दें, जो स्टील से दस गुना हल्की और सौ गुना मजबूत हो। यानी वह धातु, जिससे ऐसे खंभे बनाए जा सकें, जो सिर्फ कुछ इंच के हों, लेकिन पुल का बोझ सह सकें।