=>बैंकरप्सी कानून:- क्या, क्यों और किस लिए आवश्यक (Bankruptcy code Act 2016)

संसद ने हाल ही में बैंकरप्सी कोड यानी दिवालियेपन को लेकर विधेयक पारित किया है। बैड लोन के संकट से जूझ रहे बैंकों के लिए इसे खासा अहम माना जा रहा है।

=>"उद्देश्य"

- यह एक कानून है, जिसमें दिवालियेपन के मामलों से निश्चित समय में निपटने की बात कही गई है। यह विधेयक विशेष तौर पर बैंकों को कर्जदाता बैंकों के लिए उपयोगी होगा, जो कर्ज की रिकवरी को लेकर परेशान रहते हैं।

=>परिप्रेक्ष्य :-

- भारतीय बैंक इन दिनों बैड लोन के संकट से जूझ रहे हैं। कई कॉर्पोरेट कर्जदाताओं ने लाखों करोड़ का लोन नहीं दिया है, कई मामलों में यह लोग विलफुट डिफॉल्टर हैं।

-          भारत में कानूनी तरीकों से दिवालियेपन के मामलों से निपटने में एजेंसियों को औसतन 4.3 साल का वक्त लगता था। इसकी तुलना में जापान में छह महीने, सिंगापुर में 8 महीने, मलयेशिया और यूनाइटेड किंगडम में एक साल और अमेरिका में 1.5 साल का वक्त लगता है।

=>कानून के लाभ :-

- इस कानून के तहत कंपनी को समाप्त करने के बारे में 180 दिनों के भीतर फैसला लेना होगा। इसके अलावा फास्‍ट ट्रैक अप्‍लीकेशन को भी 90 दिनों में निपटाना होगा

- बैंकरप्‍सी कानून बन जाने से इससे जुड़े मामलों को निपटाने में अदालतों का बोझ कम होगा और समय की बचत होगी।

-          इस कानून से कर्ज देने वाली संस्थाओं को अपनी राशि तय समय में हासिल करने में सहायता मिलेगी। इस कानून के तहत दिवालिया घोषित होने के बाद कोई भी कंपनी 180 दिनों में समाप्त हो जाएगी। 180 दिन गुजरने के बाद भी यदि मामला सेटल नहीं होता है तो 90 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। रिकवरी के चांस कम होने पर कोई भी कंपनी खुद ही लिक्विडेटेड हो जाएगी।

-          कई संस्थागत विदेशी निवेशकों इन मामलों से खुद को दूर रखते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इनसॉल्वेंशी से जुड़े मामलों में अधिक समय लगता है। ऐसे में निवेशकों को अब भारत में निवेश करने में कोई हिचक नहीं होगी।

**इस बिल के सामने सबसे बड़ी चुनौती लागू होने की ही है।

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