★ जहां एक तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.1 फीसदी रही जो पिछली 6 तिमाहियों की सबसे धीमी बढ़त की दर है. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी 7.9 फीसदी थी और इससे पहले वित्त वर्ष 2014-15 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में यह 6.6 फीसदी थी.
★इस बार जीडीपी बढ़त में धीमेपन का मुख्य कारण माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर एवं कृषि क्षेत्र का धीमा प्रदर्शन है. इसके अलावा, जुलाई में 8 बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 3.2 फीसदी पर पहुंच गई जो इस साल जून में 5.2 फीसदी थी.
★अप्रैल-जून की तिमाही में आर्थिक विकास दर अनुमान से कम रही है. यानी देश की आर्थिक विकास दर में आशा से कम बढ़त देखी गई है. अप्रैल-जून की तिमाही में 7.1 फीसदी की बढ़त देखी गई है जबकि बीते साल यानी साल 2015-2016 की पहली यानी अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी दर 7.5 फीसदी थी. खेती की विकास दर में भी कमी आई है.
★वित्त वर्ष 2017 की पहली तिमाही में खेती की विकास दर 2.6 फीसदी से घटकर 1.8 फीसदी हो गई है. मैन्यूफैक्चरिंग की विकास दर 7.3 फीसदी से बढकर 9.1 फीसदी हो गई है. एग्रीकल्चर, माइनिंग और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में जून र्क्वाटर के दौरान आई गिरावट का असर जीडीपी की ग्रोथ पर दिखाई दिया है.
★बुनियादी क्षेत्र के आठ प्रमुख उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में 3.2 फीसदी रही जो कि एक साल पहले इसी माह में 1.3 फीसदी थी. बिजली सेक्टर खास तौर पर रिफाइनरी क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से जुलाई में 8 बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर बढ़कर 3.2 फीसदी पर पहुंच गई, जो इससे पिछले साल समान महीने में 1.3 फीसदी थी. आठ बुनियादी उद्योगों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर जून में 5.2 फीसदी रही थी. देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में बुनियादी उद्योगों का वेटेज 38 फीसदी है.
★ वित्त मंत्रालय ने पहली तिमाही में जीडीपी की बढ़त की दर को धीमा होने के लिये अधिक सब्सिडी खर्चे को जिम्मेदार ठहराया और भरोसा जताया कि बेहतर मानसून और वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी दर 8 फीसदी के करीब रहेगी.