मंत्रिमंडल ने वेतन नियमों को मंजूरी दे दी, जिनसे न्यूनतम वेतन सभी कर्मचारियों का अधिकार बन जाएगा। वेतन विधेयक के इन नियमों को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई वाला अंतर-मंत्रालय समूह पहले ही मंजूरी दे चुका है।
- इन नियमों से सभी उद्योगों और कामगारों के लिए एकसमान न्यूनतम वेतन सुनिश्चित होगा।
- वेतन विधेयक के ये नियम केंद्र को सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार देते हैं, जिनका सभी राज्यों को पालन करना होगा।
- हालांकि राज्य केंद्र द्वारा तय वेतन से अधिक न्यूनतम वेतन भी मुहैया कराने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि श्रम समवर्ती सूची का विषय है।
Who comes under this law?
इन नियमों को संसद की मंजूरी के बाद 18,000 रुपये से अधिक वेतन प्राप्त करने वाले कामगार भी न्यूनतम वेतन के हकदार होंगे। इस समय वेतन कानून के दायरे में वे कर्मचारी नहीं आते हैं, जिन्हें हर महीने 18,000 रुपये से ज्यादा वेतन मिलता है। इसके अलावा न्यूनतम वेतन सभी वर्ग के कर्मचारियों पर लागू होगा, जो इस समय कानून में केवल अनुसूचित उद्योगों और प्रतिष्ठानों पर ही लागू होता है।
वेतन पर इन नियमों के तहत श्रम मंत्रालय ने वेतन से संबंधित चार कानूनों के एकीकरण के जरिये वेतन की परिभाषा को सरल बनाने की योजना बनाई है। ये कानून :
- न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948,
- वेतन का भुगतान अधिनियम 1936,
- बोनस का भुगतान अधिनियम 1965 और
- समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 हैं।
इस समय एक क्षेत्र में चुकाए जाने वाला वेतन दूसरे क्षेत्र से 10 से 30 फीसदी तक कम या ज्यादा हो सकता है। इस समय किसी कार्मिक का वेतन किराये, खाने-पीने और परिवहन की लागत के अलावा उस क्षेत्र के विकास, आर्थिक समृद्धता और जीवन स्तर से तय होता है। उदाहरण के लिए मुंबई में औसत वेतन कोलकाता की तुलना में करीब 30 फीसदी अधिक है। इसकी वजह यह है कि मुंबई मेंं खाने-पीने और घर के किराये की लागत अधिक है