- शहरों और गांवों के बीच बढ़ती खाई ने भारत बनाम इंडिया की बहस को बढ़ाया है। आज अगर वैश्विक मंचों पर तमाम मसलों में हमारा परचम पहरा रहा है तो सबसे ज्यादा गरीबी और भुखमरी यही होने का अभिशाप भी जुड़ा है।
- आजादी के सात दशकों के दौरान इस खाई को पाटने की कोशिशें हुईं। तमाम नीतियां और योजनाएं बनीं लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका। लिहाजा जरूरतमंद तक मदद नहीं पहुंची। बिचौलियों या संपन्न वर्ग की जेबें भरती रहीं।
- अब गांवों के रास्ते देश को मजबूत करने के मर्म के साथ सरकारों द्वारा कई अहम योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, स्मार्ट विलेज, पुरा (प्रोविजन ऑफ अर्बन अमेनिटीज टू रूरल एरियाज) मॉडल जैसे कदम सही दिशा में हैं लेकिन संसाधनों को साझा करके और समग्र बुद्धिमानी द्वारा ही वांछित नतीजे पाए जा सकते हैं.
कम आय
- हालिया हुए एक अध्ययन के मुताबिक 63 फीसद ग्रामीण परिवार बहुत कम आय पर आश्रित हैं। यह आय कृषि से संबंधित गतिविधियों से सृजित होती है।
- ग्रामीण मजदूरी में पिछले कुछ सालों के दौरान औसतन 18 फीसद इजाफा हुआ लेकिन पिछले साल सितंबर में इसमें 5 फीसद की तेज गिरावट दिखी। ये सारी चीजें केवल ग्रामीण भारतीयों पर ही असर नहीं डाल रही हैं बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि भी प्रभावित हो रही है।
सड़क और यातायात
- अच्छे सड़क नेटवर्क और आर्थिक विकास के बीच गहरा नाता है। प्रभावी यातायात लोगों की आय और कल्याण स्तर में कई तरीके से इजाफा करता है।
- कृषि उत्पादों की मार्केंटिंग और वितरण, लोगों और संसाधनों का सुचारु आवागमन में इनका महती योगदान तो होता ही है, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं की पहुंच को भी सुलभ बनाते हैं।
- ऐसे में निम्न स्तर की ग्रामीण जीवनदशा के लिए खराब सड़कें और यातायात नेटवर्क एक बड़ा कारक है।
बुनियादी सुविधाएं
- विश्व बैंक के अनुसार ग्रामीण विद्युतीकरण वहां के आर्थिक बेहतरी के आधार है। घरेलू कामकाज के समय को बचाकर ये ग्रामीण परिवारों के कल्याण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- बिजली आपूर्ति की सुनिश्चितता चावल और गेहूं मिलों, तिलहनों से तेल निकालने, खेती के औजारों को बनाने जैसे कृषि आधारित
उद्योगों को बढ़ावा देते हैं। गुणवत्तापरक बिजली आपूर्ति आर्थिक गतिविधियों के लिए मददगार होती है। इस तथ्य से बेपरवाह सरकारें बिजली के खंभे खड़े करने और तार खींचने के अपने लक्ष्य को पूरा करती ही दिखती हैं। भले ही बिजली आपूर्ति चंद घंटे ही हो।
शिक्षा तक पहुंच
- देश में साक्षरता बढ़ने के पीछे की मुख्य वजह रही है कि शैक्षिक संस्थानों तक लोगों की पहुंच बढ़ी है और
- खासकर प्राथमिक स्तर पर। हालांकि गुणवत्ता वाली शिक्षा आज भी चिंता का विषय है। ज्यादातर गांवों के
- एक किमी के परिघेरे में मिडिल स्तर के स्कूल हो चुके हैं लेकिन उच्च शिक्षा के मामले में ऐसी सहूलियत नहीं है।
जन सेवाएं
- ग्रामीण परिवारों की आय में कृषि आधारित गतिविधियों की बड़ी हिस्सेदारी होती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए बैंकों और मंडियों तक ग्रामीणों की पहुंच जरूरी है।
स्वास्थ्य सेवाएं
- पोलियो और चेचक के खात्मे को लेकर चलाए जा रहे अभियान सफल रहे हैं और मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है लेकिन सभी ग्रामीण लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना अभी पहुंच से बाहर है।
- अकुशल और गुणवत्तारहित चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद अधिक कीमत चुकाने जैसी चीजें प्रमुख चुनौतियां हैं।
=>बड़ी आबादी
- 1960 में 80 फीसद से अधिक आबादी गांवों में रहती थी, आजीविका के लिए शहरों की ओर तेज पलायन के बावजूद आज भी करीब सत्तर फीसद आबादी इन्हीं गांवों में गुजर-बसर कर रही है।
- सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2011 के अनुसार करीब 73 फीसद परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
=>जीडीपी में हिस्सेदारी
- 1950 में कृषि और सहायक क्षेत्र का जीडीपी में हिस्सेदारी 51.88 फीसद था। 2013 में यह घटकर 13.94 फीसद रह गई।
- देश की 70 फीसद आबादी और 50 फीसद श्रमशक्ति इन्हीं क्षेत्रों से जुड़ी है। ये लोग अपना वाजिब मेहनताना नहीं निकाल पा रहे हैं।