कमिटी किसलिए
डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के तरीकों पर सुझाव देने के लिए
कमिटी के मुख्य सुझाव
- कमेटी ने डिजिटल पेमेंट्स को कैश की तरह आसान बनाने के लिए आधार और मोबाइल नंबर्स के अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया है।
- कमेटी के मुताबिक, ‘मोबाइल नंबर और आधार बेस्ड फुली इंटर-ऑपरेबल पेमेंट्स को प्रायॉरिटी दी जानी चाहिए।
- कमेटी ने पेमेंट्स के रेग्युलेशन को सेंट्रल बैंकिंग से अलग करने से जुड़ा एक सबसे महत्वपूर्ण सुझाव दिया है।
- कमेटी ने कुछ उपायों को लागू करने के लिए 30-90 दिनों की टाइमलाइन का सुझाव दिया है। कमिटी का मानना है कि इन उपायों से देश में कैश के इस्तेमाल में आधी कमी हो सकती है।
- कमेटी ने सेंट्रल बैंकिंग स्ट्रक्चर के अंदर एक इंडिपेंडेंट मेकनिजम बनाने के साथ ही पेमेंट और सेटलमेंट कानूनों में संशोधन करने का भी सुझाव दिया है।
- कमिटी का कहना है कि बोर्ड फॉर रेग्युलेशन ऐंड सेटलमेंट सिस्टम्स (BPSS) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ओवरऑल स्ट्रक्चर के अंदर स्वतंत्र कानूनी दर्जा दिया जा सकता है और इसका नाम पेमेंट्स रेग्युलेट्री बोर्ड किया जा सकता है। अभी यह RBI के सेंट्रल बोर्ड की एक सब-कमेटी के तौर पर काम करता है।
- कमेटी ने पेमेंट्स एंड सेटलमेंट सिस्टम्स ऐक्ट, 2007 में संशोधन करने की भी जरूरत बताई है।
- कमेटी ने एक ‘दीपायन’ फंड का प्रपोजल दिया है, जो कैशलेस ट्रांजैक्शंस से होने वाली बचत से तैयार किया जाएगा। इसका इस्तेमाल डिजिटल पेमेंट्स का दायरा बढ़ाने के साथ ही डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन देने के लिए राज्यों, सरकारी विभागों, जिलों और पंचायतों की रैंकिंग में किया जा सकता है।
- रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) को कॉस्ट बेनेफिट अनैलेसिस करने के बाद आउटसोर्स करने का भी सुझाव दिया गया है।