स्मार्ट सिटी (Smart City) कांसेप्ट : चुनौतियाँ और अवसर

- इसमें कोई संदेह नहीं कि आज आबादी के बोझ से चरमराते शहरों के लिए मूलभूत सुविधाएं पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हर व्यक्ति अपनी कल्पनाओं के शहर में खुशहाल रहना भी चाहता है।

- तकरीबन सौ शहरों के चयन के बाद पहली सूची में बीस शहरों का चयन हुआ है। ऐसे में उन शहरों के नागरिकों के मन में स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठेगा कि उनका शहर क्यों नहीं? बड़ा सवाल यह है कि गांव क्यों नहीं स्मार्ट हो सकते? गांव यदि स्मार्ट होंगे तो पलायन कम होने से शहरों की सुंदरता वैसे ही कायम रह पायेगी। 
- वैसे भी सरकार ने स्मार्ट शहरों की सूची में उन बड़े शहरों को शामिल किया है जो भौगोलिक, प्रशासनिक व आर्थिक दृष्टि से ऊर्जावान शहर हैं। दिल्ली के भी उस इलाके को स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला लिया गया है जो राजनीतिक और कूटनीतिज्ञों की कार्यस्थली है।

- इसमें दो राय नहीं कि शहरों को स्मार्ट बनाने की सख्त जरूरत है। एक अनुमान के अनुसार 2050 तक देश की 75 फीसदी आबादी शहरों में बसेगी। मौजूदा हालात में जीवन कितनी बड़ी चुनौती से रूबरू होगा, अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। विरोधाभास यह भी है कि देश के तमाम शहरों में पीने का साफ पानी, शोधित सीवरेज, कचरे का निदान, बिजली आपूर्ति, सुचारु यातायात और बेहतर चिकित्सा हासिल करना आज भी एक बड़ी चुनौती है।

- सबसे बड़ी समस्या स्मार्ट शहरों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने की है। सरकार चयनित शहर को पांच साल तक हर वर्ष सौ करोड़ रुपये देगी। मूल रूप से 48 हजार करोड़ की यह योजना राज्यों के सहयोग से 96 हजार करोड़ की हो जाएगी। मगर योजना को कि्रयान्वित करते-करते इनकी लागत कहीं ज्यादा आयेगी। 
- इसके अलावा महज निर्माण ही स्मार्ट शहर की जरूरत नहीं है, इसके लिए पारदर्शी और दूरदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था की भी जरूरत होगी। यदि ऐसा नहीं होता तो स्मार्ट सिटी महज एक आकर्षक मुहावरा बनकर रह जायेगा।

- नि:संदेह स्मार्ट सिटी एक राजनीतिक मंत्र भी है और जादुई शब्द भी, जिसने पूरे एशिया को सम्मोहित किया है। मगर इसके कि्रयान्यवन के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति, पर्याप्त आर्थिक संसाधन, तकनीकी कौशल व दूरदृष्टि की जरूरत होगी।
- सरकार को गंभीरता से सोचना होगा कि सीमित संसाधनों के चलते इस विशाल देश में चंद शहरों को स्मार्ट बना देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। 
- ऐसे में क्यों न उपलब्ध साधनों के चलते मौजूदा शहरों को ही स्मार्ट बना लिया जाये। इससे विकास के ढांचे में एकरूपता होगी। ज्यादा लोगों का जीवन मूलभूत सुविधाएं हासिल होने से बेहतर हो पायेगा। 
- साफ हवा-पानी, बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाएं, सुचारु यातायात व्यवस्था और सुरक्षा हर नागरिक का मौलिक अधिकार भी है।

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