बार-बार मानसून की बेरुखी से खेती पर मार और रोजगार के अभाव के कारण गांवों की स्थिति खराब है, लेकिन हकीकत में शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है।
** शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र 291 रुपये की संपत्ति है। इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है।
- इतना ही नहीं शहर में गरीब और अमीर परिवारों की संपत्ति के बीच अंतर भी 50 हजार गुना से ज्यादा है।
- नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के पास औसतन 10 लाख रुपये तथा शहरों में 23 लाख रुपये की संपत्ति है।
** हालांकि, गरीब परिवारों की संपत्ति इससे काफी कम है। मसलन, शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार ऐसे हैं जिनके पास औसतन 291 रुपये की संपत्ति मात्र है। ऐसे परिवारों के पास न घर है, न जमीन।
- वहीं गांव में 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के पास औसतन 25,071 रुपये की संपत्ति है।
- जहां तक धनाढ्य परिवारों का प्रश्न है तो शहरों में सबसे अमीर 10 प्रतिशत परिवारों के पास औसतन 1.45 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनकी यह संपत्ति 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के मुकाबले 50 हजार गुना ज्यादा है।
=>गांवों में अमीर-गरीब का कम है फर्क :-
- अमीर और गरीब के बीच खाई गांव में भी है लेकिन वहां यह अंतर इतना अधिक नहीं है। गांव में दस फीसदी अमीरों की औसत संपत्ति अति गरीबों के मुकाबले 226 गुनी ज्यादा है। गांव में 10 प्रतिशत अमीर परिवारों के पास औसतन 57 लाख रुपये की संपत्ति है।
=>गांव में एक लाख तो शहर में पौने चार लाख रुपये कर्ज
- 'पारिवारिक परिसंपत्तियां और देनदारियां' शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार गांव में 31.4 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिन पर कुछ न कुछ कर्ज है।
- वहीं शहरों में कर्ज के बोझ से दबे परिवारों का अनुपात 22.4 प्रतिशत है।
- कर्ज के बोझ से दबे परिवारों पर गांव में औसतन 1 लाख 3 हजार 457 रुपये तथा शहर में 3 लाख 78 हजार 238 रुपये कर्ज है। गांव में 42 प्रतिशत किसानों के परिवार कर्ज में डूबे हैं।
=>ऐसे किया संपत्ति का आकलन
- पारिवारिक संपत्ति का आकलन उनके पास उपलब्ध जमीन, इमारत, मवेशी, कृषि उपकरण, गैर-कृषि कारोबारी उपकरण, परिवहन के साधन, शेयर तथा बैंक व डाकघर में जमा, किसी प्रकार की बचत को जोड़कर किया गया है।
- एनएसएसओ ने इस बार संपत्ति के आकलन में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को शामिल नहीं किया है।
- एनएसएसओ ने यह रिपोर्ट जनवरी से दिसंबर 2013 के दौरान किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की है। हालांकि इसे जारी अभी किया गया है।