जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण के कारण कोलकाता और मुंबई 2070 तक दुनिया के सबसे ज्यादा असुरक्षित महानगर बन सकते हैं. समुद्र तल के बढ़ते स्तर के कारण दुनिया के विभिन्न शहरों को खतरे के हालिया अध्ययन में इन दोनों शहरों को सबसे ज्यादा ख़तरा है.
★समुद्र तल का स्तर ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान में वृद्धि) के कारण बढ़ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक महासागर और अंटार्टिका में बर्फ पिघल रही है.
★विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार बचाव की चाहे जितनी भी कोशिश की जाए सुमुद्र तल का स्तर जरूर बढ़ेगा. हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर हुए पेरिस समझौते के अनुसार साल 2100 तक अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस तक नियंत्रित कर लिया जाए तो भी समुद्र तल के स्तर में 79 सेंटीमीटर की वृद्धि हो जाएगी.
★समुद्र तल के स्तर में वृद्धि का सीधा परिणाम बाढ़ के रूप में सामने आ सकता है. वहीं समुद्र तट के किनारे बसे शहरों में हाइयान जैसे तूफान का खतरा बढ़ सकता है. हाइयान तूफान 2013 में फिलीपिंस में आया था.
★रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन से तटीय शहरों में आने वाली संभावित बाढ़ से करीब एक अरब लोगों की जिंदगी प्रभावित हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार 2070 तक कोलकाता की आबादी 1.4 करोड़ बढ़ सकती है. जिसकी वजह से वो दुनिया का सबसे असुरक्षित तटीय शहर होगा.
★इस रिपोर्ट के अनुसार 2070 तक मुंबई दुनिया का दूसरा सबसे असुरक्षित तटीय शहर होगा. अनुमान के मुताबिक मुंबई की आबादी 1.14 करोड़ बढ़ सकती है.
★कोलकाता और मुंबई के बाद इस सूची में बांग्लादेश की राजधानी ढाका, चीन का गुआनझाऊ, वियतनाम का हो ची मिन शहरों का स्थान है. उसके बाद शंघाई और बैंकॉक का नाम है. अमेरिकी शहर मियामी सूची में नौवें स्थान पर है. वहीं न्यूयॉर्क 17वां सबसे असुरक्षित शहर होगा.
★रिपोर्ट के अनुसार, "जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा पीड़ित होने वाले तीन देश दुनिया के ग्रीनहाउस गैसों के तीन सबसे बडे उत्पादक देश हैं. ग्रीनहाउस गैसों के दो सबसे बड़े उत्पादक देश चीन और अमेरिका की अर्थव्यस्था को बड़ा झटका लग सकता है. ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया में चौथा स्थान है. भारत को भी इस कार्बन प्रदूषण की कीमत चुकानी होगी."
★तटीय बाढ़ से सबसे अधिक आर्थिक नुकसान मियामी को होगा. आशंका है कि 2070 तक मियामी को 3.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. आर्थिक क्षति के मामले में कोलकाता चौथे स्थान पर है. कोलकाता को दो ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. वहीं मुंबई इस मामले में छठे स्थान पर है. उसे 1.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.
★ग्लोबल वार्मिंग के कारण ध्रुवीय बर्फ पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. इस साल रिकॉर्ड उच्च तापमान के कारण आर्कटिक पर बर्फ में रिकॉर्ड कमी आई है. पिछले साल गर्मी में बर्फ की परत बहुत पतली थी और सर्दी में कम बर्फ जमी. कुछ अध्ययनों में आशंका जताई गई है कि इस साल गर्मी में आर्कटिक की बर्फ पूरी तरह गायब हो सकती है.
† जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान का सर्वाधिक असर गरीबों और महिलाओं पर पड़ सकता है
★नवंबर 2015 के एक अध्ययन में भी आशंका जताई गई थी कि अगर वैश्विक तापमान में केवल दो प्रतिशत वृद्धि होती है तो भी कोलकाता, मुंबई, हॉन्गकॉन्ग, शंघाई, ढाका पर समुद्र तटीय बाढ़ से प्रभावित होने का खतरा है.
★समुद्र तल का स्तर बढ़ने से ज्यादा आर्थिक नुकसान पश्चिमी देशों को होगा लेकिन इसका सबसे असर गरीबों और महिलाओं पर पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन पर रोकथाम के उपायों पर अमल के साथ ही बुरी से बुरी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा.
★संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने हाल ही में कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए मदद का फंड कम से कम एक अरब करने के लिए कहा. 2014 में इस फंड में इसकी करीब आधी राशि ही थी.
★संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य तरीका भी विकसित कर रहा है जिससे जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान का अनुमान लगाया जा सकेगा. इसपर मोरक्को में होने वाले अगले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में चर्चा होगी. इसके बाज प्रदूषण के लिए जिम्मेदार देशों पर हर्जाना वसूलना आसान हो जाएगा.