Ø नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी देने में कई खामियां पाई हैं.
Ø संसद में पेश सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण मंजूरी दिए जाने से पूर्व इन परियोजनाओं के प्रभावों का सही मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है.
Ø साथ ही पर्यावरण मंत्रालय परियोजना को जिन शर्तों के आधार पर मंजूरी देता है, कंपनियां उनका भी पालन नहीं करती. रिपोर्ट में सरकार की ओर से परियोजनाओं की निगरानी के लिए पुख्ता तंत्र नहीं होने की भी बात कही है.
Ø सीएजी ने 2008-14 के दौरान मंजूर की गई कुल 568 परियोजनाओं की समीक्षा की. संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 14 फीसदी योजनाओं को ही निर्धारित समय सीमा यानी 60 दिनों के भीतर मंजूरी मिली. बाकी 86 फीसदी योजनाओं को मंजूरी देने में एक साल या इससे ज्यादा का वक्त लगा
Ø CAG के मुताबिक इनमें से 25 फीसदी परियोजनाओं के मामले में पर्यावरण प्रभाव रिपोर्ट सही तरीके से तैयार नहीं की गई थी.