मारकेश समझौता

What is this:

पेरिस समझौते के बाद मारकेश  राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के खतरे से निबटने की वैश्विक प्रतिक्रियाओं को मजबूती देने की दिशा में बढाने का एक कदम है |

  • जलवायु परिवर्तन समझौते में दीर्घकालिक जीवनशैली के महत्व को पहली बार शामिल किया गया है
  • देशों ने कम से कम सिद्धांत रूप में इस पर सहमति जताई है कि 2015 के पेरिस समझौते को लागू करने के लिए 2018 तक कायदे-कानून बना लिये जाएंगे।
  • पेरिस समझौते में यह तय हुआ था कि हरित जलवायु कोष (ग्रीन क्लाइमेट फंड) बनेगा जिसमें से सौ अरब डालर की मदद हर साल गरीब और विकासशील देशों को दी जाएगी, ताकि वे अपने यहां कार्बन स्रोतों पर रोक लगाने की खातिर नई तकनीक विकसित कर सकें। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा जैसे माध्यमों से बिजली उत्पादन भी पेरिस  समझौते की एक प्रतिज्ञा थी। परन्तु मारकेश इस फण्ड को सम्पूर्ण रूप से भरने में विफल रहा
  • CLIMATE VULNERABLE फोरम के 50 सदस्यों ने यह प्रतिज्ञा लि  की वो 2050 तक अपने energy का उत्पादन renewable sources से करेंगे

परन्तु किन मामलो में असफल रही

  •  कुछ निहित स्वार्थों के चलते कृषि,वृत्त अनुकूलन जैसे मुद्दों पर चर्चा ही नहीं हुई। राजनीतिक आधार पर बंटे देशों की खींचतान कई बार साफ दिखाई दे जाती है। 
  • जिस हरित जलवायु कोष बनाने की बात हुई थी, उसमें अमेरिका को तीन सौ करोड़ डालर देने थे, लेकिन उसने अभी तक केवल पचास करोड़ डालर दिए हैं।  

Other POINTS

सम्मेलन में भारत ने दोहा समझौते को लागू करने और विकसित देशों द्वारा कार्बन उत्सर्जन कम करने पर जोर दिया। बढ़ते तापमान की वजह से बाढ़, चक्रवाती तूफान और सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। इस सम्मेलन में विश्व मौसम संगठन ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसके मुताबिक आने वाले साल के बारे में नब्बे फीसद आशंका इस बात की बढ़ गई है कि गरमी के लिहाज से पिछला सारा रिकार्ड टूट जाएगा।

A way to future:

हालांकि मराकश सम्मेलन में देशों की भागीदारी उत्साह बढ़ाने वाली रही, और यह उम्मीद की जानी चाहिए कि विकसित देश अपनी घरेलू राजनीति या क्षुद्र भू-राजनीतिक इरादों को वैश्विक पर्यावरण की रक्षा में आड़े नहीं आने देंगे। जलवायु न किसी की इजारेदारी की चीज है और न ही निजी उपभोग की। कोई भी अव्यवस्था धरती के एक सिरे से दूसरे सिरे को डगमगा सकती है। कामना ही की जा सकती है कि पेरिस समझौता सौजन्यता और सख्यभाव से लागू हो जाएगा, जिसकी तरफ दुनिया पलक पसारे देख रही है।

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