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तमिलनाडु के एन्नोर के पास कामराजार समुद्र तट के निकट पिछले दिनों दो मालवाहक जहाजों की टक्कर के बाद तेल रिसाव| एक जलपोत में पेट्रोलियम तेल भरा था और दूसरा एलपीजी गैस उतार कर वापसी के रास्ते में था।
प्रभाव
- समुद्र में तेल फैलने की वजह से न सिर्फ सैलानियों, बल्कि समुद्री जीवों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
- भारी मात्रा में मछलियां और कछुए वगैरह मृत पाए गए हैं।
कैसे हुआ हादसा
घटना के कारणों को लेकर भी कई तरह की बातें कही जा रही हैं। एन्नोर के कामराजर पोर्ट पर जहां यह हादसा हुआ, वहां एक समय में एक ही जहाज पहुंचना चाहिए। इस नियम की अनदेखी कैसे हुई, यह जांच का विषय है। जहाजों के कप्तानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। नाविक दल के सदस्यों को पूछताछ के लिए चेन्नई में रहने को कहा गया है।
मानवीय भूल या कुछ ओर
- बंदरगाहों पर सामान भरने और उतारने के लिए जलपोतों का आना-जाना लगा रहता है। पर उनका संचालन कंप्यूटरीकृत प्रणाली से होता है, इसलिए यह समझना मुश्किल है कि कहां लापरवाही हुई, जिसके चलते दोनों पोत आपस में इस कदर टकरा गए कि इतनी भारी मात्रा में तेल का रिसाव हो गया।
- ज्वलनशील पदार्थ ढोने वाले वाहनों के संचालन में विशेष सावधानी बरती जाती है, मगर इन पोतों के संचालन में यह ध्यान क्यों नहीं रखा गया। गनीमत है कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ और न आग लगने जैसी कोई बड़ी घटना हुई।
पर्याप्त संसाधनों की भी उपलब्धता
हालांकि बंदरगाह के कर्मचारी समुद्र में फैले तैलीय कचरे को हटाने में जुटे हुए हैं, पर उनके पास न तो उपयुक्त मशीनें हैं और न ऐसी स्थिति से निपटने का कोई पुख्ता प्रशिक्षण। अब भी बहुत सारे मजदूर बाल्टियों से गाद उलीचने में जुटे हुए हैं। जो मशीनें लगाई भी गई हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं।
निष्कर्ष
एन्नोर जैसे व्यस्त बंदरगाहों पर, जहां रोज बड़ी संख्या में जलपोतों का आना-जाना लगा रहता है, वहां ऐसी स्थिति से तत्काल निपटने के कारगर इंतजाम क्यों नहीं किए जाते? बंदरगाह उद्योग आज दुनिया के कमाई वाले बड़े कारोबार में शामिल है, पर सुरक्षा इंतजाम के मामले में इस कदर लापरवाही होगी, तो इसका बुरा असर पड़ सकता है। सुरक्षा संबंधी पहलू के साथ-साथ समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।