गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट के
इसके अनुसार
- भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है। हर साल इससे 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यह तादाद तंबाकू सेवन से मरने वालों के अनुपात से बस थोड़ी ही कम है।
- देश का तीन प्रतिशत जीडीपी जहरीली हवा के धुएं में घुल जाता है। अगर देश का विकास जरूरी है तो सबसे पहले वायु प्रदूषण से लड़ना होगा
- वर्ष 2015 में भारत के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में पीएम दस के स्तर का है। यह 268 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और 168 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है।
- 268 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ दिल्ली की हवा सबसे अधिक जहरीली है।
- इसके बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, इलाहाबाद और बरेली इसके काफी करीब है।
- इसी तरह उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर, हरियाणा का फरीदाबाद, बिहार का पटना, झारखंड का झारिया, रांची, कुसुंदा व बस्ताकोला और राजस्थान के अलवर में वायु प्रदूषण का स्तर 10 पीएम स्केल पर 258 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से 200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के बीच है।
- साफ है कि घातक हवा का संकट सिर्फ महानगरों में ही नहीं बल्कि पूरे देश को चपेट में ले चुका है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण के मामले में सिर्फ दिल्ली के ही हालात गंभीर नहीं हैं, बल्कि कुल 168 भारतीय शहरों में से एक भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों के अनुरूप नहीं है।
NOTE :इन तथ्यों को निबन्ध या paper III में अपने तथ्यों को specific रूप देने के लिए प्रयुक्त करे