दिल्ली में हर साल प्रदूषण जनित बीमारियों से 3000 लोग मरते हैं। इसी सन्दर्भ में एक PIL की सुनवाई के दौरान अपना रुख कड़ा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को इसे रोकने के लिए सख्त कदम लेने को कहा है |
क्या कहा SC ने
- केंद्र सरकार से प्रदूषण करने वाले ईंधन फर्नेस ऑयल और पेटकोक पर प्रतिबंध लगाने को कहा।
- इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सरकार से कहा है कि वे प्रदूषण की रोकथाम की समग्र योजना तैयार करें
- कोर्ट ने फर्नेस आयल और पेटकोक जैसे प्रदूषित ईंधनों पर रोक लगाने का फैसला जल्द न करने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। पीठ ने कहा कि इन ईंधनों में सल्फर बहुत ज्यादा है जो प्रदूषण करता है।
- कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय देते हुए कहा कि वह संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर फर्नेस ऑयल और पेटकोक पर प्रतिबंध लगाए और उसका दूसरा विकल्प ढूंढे।
- प्रदूषण में ईधन की गुणवत्ता का महती योगदान होता है। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि वे इस पर प्रतिबंध लगाने के उपाय करें।
- कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक समग्र योजना होनी चाहिए। अभी अलग-अलग अथॉरिटीज की अलग-अलग योजनाएं होती हैं। उनके बीच समन्वय की कमी होती है। इन सबको देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी (ईपीसीए), सीपीसीबी, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय, दिल्ली सरकार और एनसीआर के राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान मिल कर बैठक करें और प्रदूषण नियंत्रण की समग्र योजना तैयार करें।
- कोर्ट ने सीपीसीबी को इंवायरमेंट कम्पनशेटरी चार्ज (ईसीसी) की एकत्रित रकम से 2.50 करोड़ रुपये निकालने की इजाजत दे दी है। लेकिन कोर्ट ने सीपीसीबी से कहा है कि वह ये रकम दिल्ली एनसीआर में रियल टाइम मानीटरिंग स्टेशन बनाए जाने के उपकरण खरीदने पर ही खर्च करेगा। कोर्ट ने ईपीसीए से कहा है कि वह एनसीआर के भी पीयूसी सेंटरों (वाहनों में प्रदूषण की जांच करने वाले केंद्र) की जांच करे।