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भारत दुनिया भर के 70 फीसदी बाघों का घर है। कई देशों ने तो अपने यहां इन्हें विलुप्त जीव तक घोषित कर दिया है।
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कुछ भारतीय बाघों को कंबोडिया भेजने पर चर्चा करने के लिए पिछले हफ्ते दिल्ली में तीसरा सम्मेलन आयोजित किया गया
कंबोडिया और बाघ
Ø कंबोडिया ने हाल ही में भारत से मदद की गुहार लगाते हुए यह घोषणा की थी कि अब उसके जंगलों में एक भी बाघ नहीं बचा है
Ø कंबोडिया के शुष्क वन भारत के समान ही बाघो के लिया अनुकूल है
Ø डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) बाघों को कंबोडिया भेजे जाने के पक्ष में है।
Ø बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए यह एक उचित कदम है। यह एक माकूल उपाय है, जिससे साल 2022 तक दुनिया भर में बाघों की आबादी आज से दोगुनी हो सकती है।
पर इसके विरोध के कारण
· कंबोडिया में बाघों को बसाने के लिए जरूरी शिकार से भरपूर, मानव रहित पारिस्थितिकी वाली 1,000-2,000 वर्ग किलोमीटर जगह शायद ही है।
· एक बाघ को जिंदा रहने के लिए 500 बड़े शिकार चाहिए। अगर उसे यह नहीं मिला, तो वह कस्बों की ओर रुख करेगा।
· कम शिकार घनत्व और अवैध शिकार विरोधी कानूनों का ढीला प्रवर्तन (low prey density and lax enforcement of anti-poaching laws)
· एक और चिंता बाघों की संकर-उपजातियों को लेकर भी है।