अन्तर्मन को ज्ञात कर, भावनाओ की अभिव्यक्ति करता हूँ ,
हूँ मनुज मै लेखनी से संवेदनाये उकेरता हूँ |
मनुष्य की श्रेष्ठता का परिमार्जन उसकी संवेदनाये में निहित समाज का स्वरुप है ,जो उसमे सुधार की गुंजाईश को दर्शाता है| हमारी वैचारिक क्रांति का प्रस्फुटन हमारी लेखनी से परिलक्षित होती है ,आप कितने… Read More