- सुविधाभोगी होते समाज को भ्रष्टाचार का अजगर निगल रहा है। यह असाध्य रोग अब हमारे देश के आर्थिक महाशक्ति बनने में भी बड़ा अवरोध साबित हो रहा है। इससे हर साल अर्थव्यवस्था को करोड़ों रुपये की चपत लगती है। सेना, न्यायपालिका, मीडिया और खुफिया जैसे अपेक्षाकृत साफ-सुथरे और दाग रहित संस्थानों में भी भ्रष्टाचार की नई प्रवृत्ति ने आम आदमी को अवाक कर दिया है। Few #Facts
=>62 फीसद: 2005 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक शोध में बताया गया कि देश के 62 फीसद लोगों को काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में घूस देना पड़ा।
=>40 फीसद: 2014 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी दफ्तरों में काम करवाने के लिए घूस देने या किसी पहचान का इस्तेमाल करने वाले भारतीयों की संख्या।
=>क्षेत्रवार कदाचार:-
1.राजनीति: कभी समाज सेवा के लिए जाना जाने वाला यह क्षेत्र आज भ्रष्टाचार की जननी बन चुका है। अगर कुछ लोग साफ-सुथरे हैं तो उन्हें अपवाद स्वरूप ही कहा जाएगा। हर घोटाले, गोरखधंधे की पगडंडी अंतत: राजनेताओं तक जाती दिखाई देती है। संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुए बड़े-बड़े घोटालों में कई बड़े नेता फंस चुके हैं।
2. नौकरशाही: 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, ताइवान, वियतनाम, चीन, फिलीपींस और इंडोनेशिया से भारत की नौकरशाही न केवल कम सक्षम है बल्कि इनके साथ काम करना सुस्त और दर्दनाक भी है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के ट्रक ड्राइवरों द्वारा हर साल 222 अरब रुपये की रिश्वत दी जाती है। सरकारी नियामक संस्थाओं और पुलिस का इन रिश्वत में हिस्सा होता है। रिश्वत लेने के तहत इन ट्रकों को जगह-जगह रोका जाता है। एक दिन में करीब 11 घंटे का समय ट्रकों के लिए इन्हीं कामों में चला जाता है। ट्रकों की उत्पादकता में यह नुकसान देश के लिए चिंता का विषय है। अगर ऐसा न हो तो प्रत्येक ट्रक अपने फेरों में 40 फीसद तक इजाफा कर सकता है। विश्व बैंक की 2007 की एक रिपोर्ट के मुताबिक यदि विभिन्न विभागों द्वारा रिश्वत लेने के लिए ट्रकों को रोका न जाए तो दिल्ली से मुंबई का रास्ता ये ट्रक दो दिन पहले ही पूरा कर लें।
3. जमीन और प्रॉपर्टी: पूरे देश में एक संगठित नेटवर्क के तहत जमीनों को औने-पौने दामों में बेचकर मोटा माल कमाया जा रहा है। इसमें राजनेता, नौकरशाह, न्यायपालिका से जुड़े लोग, रीयल इस्टेट के लोग शामिल होते हैं। सरकारी योजनाओं के टेंडर प्रक्रिया और ठेके देने के एवज में भी मोटा माल बनाया जाता है। ये सभी रकम कहीं न कहीं काले धन को जन्म देती हैं, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है। तमाम सामाजिक योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है लिहाजा जरूरतमंदों तक लाभ नहीं पहुंच पाता है।
4. अस्पताल-:-
* सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार दवाओं की गैर मौजूदगी, मरीज को भर्ती करने की जद्दोजिहद, डॉक्टरों की अनुपलब्धता से जुड़ा है।
5. न्यायपालिका:-
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक देश में मुकदमों के निपटारे मे होने वाली देरी, जटिल न्यायिक प्रक्रिया और जजों की कमी के कारण न्यायिक तंत्र में भ्रष्टाचार पनप रहा है।
6. सशस्त्र सेना:-
सेना के सभी अंगों में भ्रष्टाचार तेजी से फैल रहा है। सुकना भूमि घोटाले से लेकर आदर्श हाउसिंग घोटाले तक में इसके अधिकारियों पर अंगुली उठाई गई।
* ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के एक अध्ययन के मुताबिक सरकार द्वारा जनता को दी जाने वाली 11 बुनियादी सुविधाओं मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, न्यायपालिका और पुलिस वगैरह में भ्रष्टाचार को यदि मौद्रिक मूल्यों में आंका जाए तो यह करीब 21,068 करोड़ रुपये का होगा।
* एक आकलन के मुताबिक चीन और अन्य अल्प विकसित देशों की तुलना में देश में व्यापार शुरू करना एक चुनौती से कम नहीं है। बिजनेस शुरू करने के लिए अनुमति मिलने में ही लंबा वक्त खर्च हो जाता है।