रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने 2011-12 की मौद्रिक नीति में मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) शुरू करने का एलान किया है। बैंक इसके जरिए आरबीआई से 8.25 फीसदी की ब्याज दर से कर्ज ले सकते हैं। यह दर लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) रेपो से एक फीसदी ऊपर है। बैंक लिक्विडिटी में भारी कमी होने पर एमएसएफ से कर्ज ले सकते हैं।
आरबीआई ने यह सुविधा थोड़े समय के एसेट-लाइबिलिटी मिसमैच को ज्यादा प्रभावी तरीके से निपटाने के मकसद से शुरू की है। रिजर्व बैंक ने सालाना मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा था, 'मौद्रिक नीति का मकसद तरलता का इस तरह से प्रबंधन करना है कि इसमें संतुलन बना रहे। इसमें कहीं, ज्यादा लिक्विडिटी होने से मॉनिटरिंग ट्रांसमिशन का असर कम नहीं हो जाए और कम लिक्विडिटी होने से फंड फ्लो रुक नहीं जाए।'
LAF रेपो रेट और MSF रेट में क्या अंतर है?
बैंक LAF रेपो रेट पर आरबीआई से कर्ज ले सकते हैं। बैंकों को एलएएफ रेपो रेट पर कर्ज लेने के लिए एसएलआर को अनिवार्य रूप से 24 फीसदी बनाए रखते हुए अतिरिक्त सरकारी प्रतिभूतियों को गिरवी रखना पड़ता है। जहां तक एमएसएफ का सवाल है तो इस सुविधा का लाभ उठाकर बैंक 8.25 फीसदी की दर से अपनी नेट डिमांड और टाइम लायबिलिटी के एक फीसदी के बराबर कर्ज ले सकते हैं। इसमें भी एसएलआर को अनिवार्य रूप से 24 फीसदी बनाए रखना होगा।
एमएसएफ 'होल्ड-इन-कस्टडी' रेपो के तौर पर किया जाता है जो एलएएफ रेपो जैसा होता है। एमएसएफ 9 मई 2011 से प्रभावी है। दिन में खुलने वाली दूसरी लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी रेपो विंडो बंद कर दी गई है।
इस तरह बैंक, सुबह में एलएएफ रेपो विंडो से 7.25 फीसदी की दर से कर्ज ले सकते हैं। दोपहर बाद नकदी की जरूरत होने पर उनको एमएसएफ से कर्ज लेना होगा। इसमें उनको 8.25 फीसदी का ब्याज चुकाना होगा। इससे बैंकों को एलएएफ रेपो विंडो के जरिए कर्ज लेने के सुबह का वक्त तय करना होगा। इससे पता चलेगा बाजार में लिक्विडिटी की क्या स्थिति है।
MSF के जरिए कम-से-कम कितने समय के लिए कितनी रकम कर्ज ली जा सकती है? यह सुविधा कब उपलब्ध होती है?
बैंक MSF के जरिए रातभर के लिए कर्ज ले सकते हैं। लोन की रकम कम-से-कम 1 करोड़ रुपए हो सकती है। MSF सभी कार्य दिवसों पर शाम 3.30 से 4.30 बजे तक उपलब्ध होती है।