क्या surge pricing पर लगाम लगाने की जरुरत

What is surge pricing:

ज्यादा मांग वाले समय में अपनी सेवाओं का किराया बढ़ाना  जिसे बाजार की भाषा में 'सर्ज प्राइसिंग' कहा जाता है। बढ़े हुए किराये की सर्ज प्राइसिंग व्यवस्था का इस्तेमाल विमानन और होटल क्षेत्र के अलावा रेलवे में भी पहले से होता रहा है।

क्यों इसका विरोध

सर्ज प्राइसिंग की धारणा को बुनियादी तौर पर शोषक और ग्राहकों के हितों के खिलाफ माना जाता है। जब उपभोगताओ को ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ती है |

Process of surge pricing:

  • सर्ज प्राइसिंग एक संकेतक प्रणाली है जो मांग एवं आपूर्ति में अंतर की पहचान पर आधारित है।
  • यह व्यवस्था इस सिद्धांत पर चलती है कि मांग को कम करने या आपूर्ति को बढ़ाने से ही हालात सुधर सकते हैं।
  • किसी एक कैब के लिए अगर कई दावेदार हों तो किराया बढ़ाकर वहां मांग को कम किया जा सकता है। संभावित ग्राहकों को कैब बुकिंग के समय ही सर्ज प्राइसिंग के बारे में बता दिया जाता है। दरअसल मांग और आपूर्ति के बीच अंतर जितना अधिक होगा, सर्ज प्राइसिंग उतनी ही अधिक होगी। किराया बढऩे से उस कैब के लिए मांग कम हो जाती है और स्थिति साम्यावस्था में आ जाती है।

Balancing demand and supply

  • किसी इलाके में आपूर्ति को बढ़ाने के लिए क्या तरीका अपनाया जाता है? जिस तरह संभावित ग्राहकों को मौजूदा कीमतों के बारे में बताया जाता है, उसी तरह कैब प्रदाताओं के पास भी किराये का क्षेत्रवार विवरण पहुंचता रहता है।
  •  ऐसे में अधिक मांग वाले इलाकों में आपूर्ति बढ़ाने के लिए कैब प्रदाता अपने ड्राइवरों को जाने का निर्देश देते हैं ताकि बढ़े हुए किराये का अधिकतम लाभ उठाया जा सके। इस तरह मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन साधने में सर्ज प्राइसिंग की भूमिका अहम हो जाती है।

Is there chance of cheating by companies:?

संभावित ग्राहकों को किसी खास कंपनी की सेवा लेने के लिए ही बाध्य नहीं किया जाता है। लोगों के आने-जाने की सुविधाओं के लिए कैब सेवा प्रदाताओं के अलावा निजी टैक्सी ऑपरेटर, ऑटो, बस और अन्य परिवहन साधन भी मौजूद हैं। अगर कैब सेवा कंपनी सही किराया नीति नहीं रखती है तो उसे अपने ग्राहक अन्य साधनों के हाथों गंवाने पड़ सकते हैं।

कंपनियों को भी पता होता है कि किसी खास समय में एक जगह पर उसके ऐप का इस्तेमाल कर रहे सभी लोग उसके ग्राहक ही नहीं होंगे। अगर किराया ग्राहक की उम्मीद से बहुत अधिक हुआ तो वह कैब के बजाय अन्य साधनों का इस्तेमाल कर सकता है या फिर कुछ समय तक इंतजार कर सकता है। लेकिन अगर एक साथ कई ग्राहक इंतजार करने लगते हैं तो मांग में कमी आ जाती है और सर्ज प्राइसिंग भी काफी नीचे आ जाती है। सर्ज प्राइसिंग की अवधारणा का एक मकसद यह भी है।

 

किराये की सर्ज प्राइसिंग न होने पर क्या होगा?

  • उस स्थिति में कभी पता ही नहीं चल पाएगा कि मांग और आपूर्ति में अंतर है।
  • इसके अभाव में किसी खास जगह पर कैब का इंतजार कर रहे कुछ लोगों को ही गाड़ी मिल जाएगी जबकि अन्य लोग इंतजार ही करते रह जाएंगे।
  •  दरअसल सर्ज प्राइसिंग से यह पता चलता है कि कैब की आपूर्ति की तुलना में मांग कहीं अधिक है। ऊं
  • चा किराया होने से संभावित ग्राहक कुछ समय तक इंतजार करने और कैब ड्राइवर उस इलाके का रुख करने के लिए सोचने लगते हैं। इससे मांग को नीचे लाने में मदद मिलती है। इससे कैब किराये में भी काफी कमी आती है। 


अगर इस सर्ज प्राइसिंग नीति पर ही रोक लगा दिया जाए तो मांग-आपूर्ति अंतराल की वास्तविक तस्वीर का अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो जाएगा। अगर किराया सामान्य से पांच गुना है तो उससे पता चलता है कि उस जगह पर मांग आपूर्ति की तुलना में काफी अधिक है। दोगुने किराये वाली स्थिति से कहीं अधिक बेहतर तरीके से पता चल सकता है कि कैब की भारी कमी है। अगर सर्ज प्राइसिंग पर रोक लगा दी जाए तो बाजार काफी धीमी गति से हालात पर प्रतिक्रिया देगा और स्थिति सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा। 

Use of surge pricing other than auto and cab industry:

  • सर्ज प्राइसिंग का मॉडल आपूर्ति की कमी से जूझ रहे विमानन और होटल जैसे क्षेत्रों में भी अपनाया जाता रहा है। लेकिन कैब कंपनियों की सर्ज प्राइसिंग ऐसी इकलौती ऐसी व्यवस्था है जिसके जरिये मांग के अनुपात में आपूर्ति सुधारने पर ध्यान दिया जाता है।
  • रेलवे भी गतिशील किराया प्रणाली को अपनाने लगा है जिसमें मांग के आधार पर किराया तय किया जाता है। वैसे इन क्षेत्रों में आपूर्ति बढ़ाने की व्यवस्था नहीं होती है, केवल आपूर्ति को कीमतों के जरिये नियमित किया जाता है। इस तरह किरायों में बढ़ोतरी केवल प्रतिस्पद्र्धा के जरिये ही सीमित की जा सकती है लेकिन विमानन और रेलवे में इसकी काफी कमी है।

What benefit have been accrued from cab companies like Ola/ UBER

  • कैब कंपनियों के आने का सबसे बड़ा फायदा किराया निर्धारण में हुआ है।
  • कड़ी प्रतिस्पद्र्धा का सामना कर रही कंपनियों को नई तकनीक के साथ भी तालमेल बिठाकर चलना पड़ता है। इससे वे ग्राहकों को उनकी पसंद के मुताबिक सुविधाएं मुहैया करा पाने में सफल रहे हैं।
  • सरकार भी कैब कंपनियों की आपूर्ति व्यवस्था में आने वाली अड़चनों को दूर करने में मददगार बन सकती है। अभी तक कैब वाहनों को परमिट देने पर कई तरह की रोक लगी हुई है। जहां तक किसी इलाके में कैब कंपनियों की संख्या सीमित करने के सुझाव की बात है तो उसमें खास दम नहीं दिखता है।
  • इस तरह के व्यवधानों से सड़कों पर निजी गाडिय़ों की ही संख्या बढ़ी है जिसने भीड़भाड़ और प्रदूषण बढ़ाने का ही काम किया है।

 

गतिशील किराया निर्धारण व्यवस्था पर लगाम लगाना अपने आप में प्रतिगामी कदम होगा और इससे सार्वजनिक परिवहन पर विपरीत असर पड़ेगा। इकलौती शर्त बस यह होनी चाहिए कि कैब कंपनियां अपने संभावित ग्राहकों को सर्ज प्राइसिंग के बारे में पूरी जानकारी दें।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download