आर्थिक राष्ट्रवाद और global growth

रेटिंग एजेंसी FITCH  की ‘ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक’ रिपोर्ट के मुताबिक़

  • लगातार बढ़ रहा लोकप्रियतावाद और व्यवस्था विरोधी रुझान दुनिया को आर्थिक राष्ट्रवाद के युग में धकेल देगा।
  • इसके चलते संरक्षणवाद जोर पकड़ेगा, जो लंबी अवधि में ग्लोबल ग्रोथ के लिए खतरा बन जाएगा। 
  • एजेंसी ने कहा है कि ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से निकलना (ब्रेक्जिट) और डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना ऐसे ही प्रमुख उदाहरण हैं
  • रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कोई संदेह नहीं है कि व्यापारिक संरक्षणवाद व पेशेवरों की आवाजाही रोकने से विकसित देशों की आर्थिक विकास दर लंबी अवधि में धीमी हो जाएगी। अल्पकाल में इनको थोड़ा फायदा दिख सकता है।
  •  विश्व की औसत विकास दर चालू साल के 2.5 फीसद की तुलना में 2017 के दौरान 2.9 फीसद रह सकती है।
  • अमेरिका में निवेश बढ़ने और ब्राजील व रूस के मंदी से बाहर आने की वजह से यह सुधार छोटी अवधि के लिए होगा।

क्या है संरक्षणवाद

यह वह आर्थिक नीति है जिसका अर्थ है विभिन्न देशों के बीच व्यापार निरोधक लगाना। व्यापार निरोधक विभिन्न प्रकार से लगाये जा सकते है जैसे :-

  • आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाना,
  • प्रतिबंधक आरक्षण और
  •  अन्य बहुत से सरकारी प्रतिबंधक नियम

इनका उद्देश्य आयात को हतोत्साहित करना और विदेशी समवायों (कंपनियों) द्वारा स्थानीय बाजारों और समवायों के अधिग्रहण को रोकना है

 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download