आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2000-01 से 2014-15 तक के टैक्स कलेक्शन के आंकड़े जारी किए हैं। सरकार की ओर से रिलीज किए गए आंकड़ों के अनुसार :
- देश में सिर्फ 10 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी कमाई सालाना 10 लाख रुपये से अधिक बताई है
- वित्तीय वर्ष 2012-13 में करीब 20,000 से भी कम करदाताओं ने बताया कि उनकी सालाना कमाई एक करोड़ रुपये या उससे अधिक है।
- साल में करीब 3.1 करोड़ लोगों ने टैक्स रिटर्न फाइल किया, इनमें से करीब 20 लाख लोग ऐसे थे, जिनकी कमाई 5.5 लाख से 9.5 लाख तक थी
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने पहली बार देश में टैक्सपेयर्स की कुल संख्या के आंकड़े जारी किए हैं।
- सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जीडीपी में डायरेक्ट टैक्स का शेयर दशक के निचले स्तर 5.47 फीसदी पर आ गया है। 2007-08 में यह 6.3 फीसदी के टॉप पर था। 2000-01 में यह 3.25 फीसदी था।
- आंकड़ों के अनुसार 2012-13 में 2.9 करोड़ भारतीयों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए।
- आंकड़ों के अनुसार सरकार की टैक्स कलेक्शन की कॉस्ट कम हुई है। बीते 15 साल में टैक्स कलेक्शन की कॉस्ट 1.36 फीसदी से गिरकर 0.62 फीसदी रह गई है। हालांकि, इस दौरान टैक्स कलेक्शन पर खर्च 929 करोड़ रुपए से बढ़कर 4,593 करोड़ रुपए रहा।
- 15 साल में कॉरपोरेट टैक्स कलेशन में करीब 12 गुना का इजाफा हुआ है। 2000-01 में कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 35,696 करोड़ रुपए था जो 2015-16 में 12 गुना बढ़कर 4.54 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
- 15 साल में इनकम टैक्स कलेक्शन में 9 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। 2000-01 में पर्सनल टैक्स कलेक्शन 31,764 करोड़ रुपए था, जो 2015-16 में 2.86 लाख करोड़ रुपए हो गया।
- फाइनेंशियल ईयर 2014-15 में सबसे ज्यादा डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन महाराष्ट्र से 2.78 लाख करोड़ रुपए का हुआ है।
- डायरेक्ट टैक्सेस से जुड़े इन आंकड़ों को पब्लिक करने का मकसद डिपार्टमेंट के पर्सनल और एकेडमिशियन द्वारा इनका बेहतर इस्तेमाल और एनालिसिस को प्रोत्साहित करना है। सीबीडीटी के एक सीनियर अफसर ने बताया कि कुल 84 पेज के आंकड़े जारी किए गए हैं और यह पहली बार है जब इस तरह के आंकड़ों को पब्लिक डोमेन में पब्लिश किया गया है।