- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के गांवों और शहरों के बीेच पिछले ढाई दशक में आय की असमानता में तेजी से बढ़ी है
- भारत में आय वितरण की समस्या है। तेज आर्थिक वृद्धि दर भी आय वितरण की असमानता को कम करने में मददगार साबित नहीं हो रही।एशिया-प्रशांत के क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य को लेकर आईएमएफ ने कहा कि एशिया के देश समानता के साथ आर्थिक विकास हासिल करने में सक्षम नहीं हैं।
- आईएमएफ ने कहा कि यहां गरीबी से लड़ने की क्षमता और मध्यम वर्ग के आगे बढ़ने की रफ्तार में कमी आ रही है
- दुनिया में घटी असमानता : पूरे एशिया में रुझान शेष दुनिया के विपरित दिखाई दे रहा है। दुनिया के शेष भागों में आय की असमानता का स्तर घटा है, जबकि भारत और चीन समेत पूरे एशिया में यह बढ़ा है।
- गिनी कोएफिसिएंट सूचकांक भारत के लिए वर्ष 2013 में बढ़कर 51 पर पहुंच गया। वर्ष 1990 में यह सूचकांक 45 पर था।
- सुझाव :आईएमएफ ने सुझाव दिया है कि शिक्षा और वित्तीय समायोजन को असमानता में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
क्या है गिनी कोएफिसिएंट
- गिनी गुणांक (GINI Coefficient): समाज में व्याप्त आय एवं सम्पत्ति के असमान वितरण की माप 'सांख्यिकी' (statistical) आधार पर करना गिनी गुणांक कहलाता है।
- यदि गिनी गुणांक मान 'शून्य' है, तो समाज के सभी व्यक्तियों की आय समान मानी जाएगी। इसके विपरीत गिनी गुणांक का मान १ है तो इसका अर्थ है की समाज के कुछ वर्ग विशेष के पास देश की समस्त आय केंद्रित है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि गिनी गुणांक का मान जितना ज्यादा एक के करीब होगा समाज में आर्थिक असमानता उतनी अधिक होगी। और इसके विपरीत गिनी गुणांक का मान जितना कम ( शून्य के करीब) होगा समाज में आर्थिक असमानता उतनी ही कम होगी अर्थात व्यक्तियों की आय में समानता होगी
- Lorenz Curve : यह curve (वक्र) कुल आय व सभी आय करने वालों क़े बीच असमानता को क्यक्त कर्ता है|