चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के साथ ही मातृत्व मृत्युदर में भी सुधार हुआ लेकिन सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।दिल्ली सरकार के जन्म पंजीकरण के आंकड़ों के मुताबिक:
- निजी अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों के मुकाबले ऑपरेशन (सिजेरियन) करके प्रसव अधिक कराया जाता है।
- शहरी क्षेत्र के निजी अस्पतालों में तो 48.50 फीसद बच्चे सिजेरियन डिलीवरी से पैदा हुए।
- जबकि सरकारी अस्पतालों में 82 से 85 फीसद सामान्य प्रसव कराया जाता है।
- शहरी क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में 18.01 फीसद बच्चों का जन्म ही ऑपरेशन सेहुआ।
- वहीं निजी अस्पतालों में 48.50 फीसद बच्चों का जन्म ऑपरेशन करके किया गया।
यह आंकड़े बताते हैं कि निजी अस्पतालों में कहीं न कहीं कोई गड़बड़ी जरूर है।
क्या है कारण :
- बड़ा कारण यह है कि निजी अस्पतालों के डॉक्टर व्यावसायिक हित को ध्यान में रखकर पैसे के लिए सिजेरियन डिलीवरी कराना अधिक पसंद करते हैं।
- इसके अलावा लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। बड़े निजी अस्पतालों में संपन्न परिवारों की गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए पहुंचती हैं।
- पढ़ी-लिखी व पेशेवर महिलाएं भी प्रसव पीड़ा से बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी का चयन करने लगी हैं। लेकिन कड़वी सच्चाई यही है कि ज्यादातर मामलों में निजी अस्पतालों का व्यावसायिक हित अधिक हावी रहता है।