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फर्जी मोबाइल उपभोक्ताओं पर लगाम कसने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक साल के भीतर ऐसा प्रभावी तंत्र बनाने के लिए कहा है जिससे सौ करोड़ से ज्यादा मौजूदा और भावी मोबाइल उपभोक्ताओं की पहचान प्रमाणित की जा सके।
- पीठ ने सुझाव दिया कि वर्तमान प्रीपेड मोबाइल उपभोक्ताओं को रीचार्ज कराने के दौरान पहचान का विवरण देने के लिए कहा जा सकता है, जैसा कि नए सिम कार्ड उपभोक्ताओं के मामले में होता है। वर्तमान में कुल मोबाइल फोन उपभोक्ताओं में से 90 फीसद प्रीपेड उपभोक्ता हैं।
Background
पीठ एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘लोक नीति फाउंडेशन’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की ओर से दी गई जानकारी की सत्यता जांचने के लिए केंद्र को एक प्रभावी तंत्र बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि यह जांच पड़ताल इसलिए जरूरी हो गई है क्योंकि अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल बैंकिंग कार्यो के लिए भी किया जा रहा है। इसके अलावा मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की फर्जी पहचान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकती है