कहते हैं, शिक्षा के बिना किसी भी देश का 'संपूर्ण विकास' संभव नहीं है। शिक्षा, को आप 'विकास या तरक्की' की मां भी कह सकते हैं। शिक्षा के बिना व्यक्ति ना तो अपना विकास कर सकता है, और ना ही देश और समाज का कल्याण कर सकता है. और आज मुझे आपको ये जानकारी देते हुए बहुत तकलीफ हो रही है, कि सबको शिक्षा दिए जाने के लक्ष्य को हासिल करने में भारत फिलहाल 50 साल पीछे है। देश के हर वर्ग को चिंता में डालने वाली ये बात, यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट में कही गई है।
क्या है रिपोर्ट में
- रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत को वर्ष 2030 तक सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स यानी सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करना है, तो उसे शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक बदलाव लाने पड़ेंगे
- ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट कहती है, कि वर्तमान रुझानों के आधार पर, यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन के लक्ष्य को हासिल करने में भारत, क़रीब आधी सदी यानी 50 साल पीछे रहेगा
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वर्ष 2050 में प्राइमरी एजुकेशन, वर्ष 2060 में लोवर सेकेंड्री एजुकेशन और वर्ष 2085 में अपर सेकेंड्री एजुकेशन का लक्ष्य हासिल कर पाएगा।
- रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है, कि भारत में 6 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को बहुत कम या बिल्कुल भी औपचारिक शिक्षा नहीं मिलती।जबकि देश में 1 करोड़ 11 लाख बच्चे लोवर सेकेंड्री एजुकेशन यानी निम्न माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ देते हैं, जो दुनिया के किसी भी देश के मुक़ाबले काफी ज़्यादा है।
- ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, कि भारत को शिक्षा के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ने की जरूरत है।
-यूनाइटेड नेशंस के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्ड के तहत दूसरे उद्देश्य के तौर पर, यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन का लक्ष्य रखा गया था जिसका मकसद वर्ष 2015 तक दुनिया के हर बच्चे को प्राइमरी स्कूलिंग तक शिक्षा देना था।
-ये लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया, जिसके बाद यूनाइटेड नेशंस ने अपने मिलेनियम डेवलपमेंट गोल में बदलाव लाकर, इसका नाम सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स यानी सतत विकास का लक्ष्य रख दिया।
-जिसके तहत वर्ष 2030 तक 17 लक्ष्यों को हासिल करना है।
-सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स के तहत यूनाइटेड नेशंस का एक उद्देश्य ये भी है कि सबको उच्च स्तर की शिक्षा उपलब्ध करवाई जाए।