आईटी की मुश्किलें

Business Standard Editorial

Reference: http://www.business-standard.com/article/opinion/challenges-for-indian-it-116042400643_1.html 

 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग इस समय एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। इस उद्योग की बड़ी कंपनियों के राजस्व में आ रही गिरावट और भविष्य के अनुमानों में भी कटौती किए जाने से इस क्षेत्र पर पड़ रहे दबाव को महसूस किया जा सकता है। 

A look on falling growth in IT industry:

  • आईटी उद्योग की प्रतिनिधि संस्था नैसकॉम ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए निर्यात राजस्व के अनुमान को 10-12 फीसदी के पूर्व-घोषित लक्ष्य से घटाकर 8-10 फीसदी कर दिया है।
  • पिछले वित्त वर्ष (2015-16) की शुरुआत 12-14 फीसदी राजस्व वृद्धि के लक्ष्य के साथ हुई थी लेकिन अंत में यह केवल 107.8 अरब डॉलर ही रहा जो कि 9.4 फीसदी अधिक था।
  • वर्ष 2014-15 में आईटी उद्योग का राजस्व 13 फीसदी की दर से बढ़ा था लेकिन वह भी 2010-11 से लेकर 2013-14 तक के 4 वर्षों में हासिल 20 फीसदी वृद्धि दर से काफी कम था। 

गिरावट के कारण

  • निर्यात--केंद्रित इस उद्योग की वृद्धि दर में आ रही गिरावट की व्याख्या आंशिक तौर पर वैश्विक विकास और उद्योग में आई सुस्ती से की जा सकती है।
  • दो अनिश्चितताओं ने हालात को और बिगाडऩे का काम किया है। ब्रेक्सिट के बाद अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से अमेरिकी नौकरियों को संरक्षण देने और एच1बी वीजा में कटौती की आशंका ने परिदृश्य को और धुंधला कर दिया है।
  •  अंदरूनी चुनौती : इन बाहरी खतरों के अलावा भारतीय आईटी कंपनियां अंदरूनी चुनौती से भी जूझ रही हैं। बीती सदी के आखिरी वर्षों से भारतीय आईटी कंपनियों ने अपेक्षाकृत कम कीमत पर बेहतर सेवाएं देकर अपनी खास जगह बनाई जिससे भारत जल्द ही दुनिया में आउटसोर्सिंग का अग्रणी केंद्र बन गया। लेकिन अब दुनिया बदल चुकी है। स्वचालन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटलीकरण की समग्र कोशिशों के दौर में ग्राहक फर्म उम्मीद करती हैं कि आईटी कंपनियां उन्हें एक ही जगह पर ये सभी समाधान मुहैया करा दें।
  • उन्हें न केवल दिग्गज वैश्विक आईटी सेवा प्रदाताओं से प्रतिस्पद्र्धा का सामना करना पड़ रहा है बल्कि विनिर्माण में जीई और खुदरा कारोबार में एमेजॉन जैसी कंपनियों के आईटी नवाचार से भी निपटना पड़ रहा है। GE और AMAZON  अपनी आईटी क्षमताओं को इस तरह से विकसित कर रही हैं कि उन्होंने इसे शीर्ष स्तर तक पहुंचा दिया है। 

How Indian IT companies Transforming themselved:

  • भारत में सॉफ्टवेयर क्षेत्र के दिग्गज न केवल इस स्थिति से परिचित हैं बल्कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने विशेषीकृत क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों के अधिग्रहण और नवाचार पर ध्यान देने के लिए अपने संसाधनों को पुनर्गठित करने जैसे तरीकों का सहारा लेना भी शुरू कर दिया है। इससे उन्हें अपने ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से सेवाएं देने में आसानी हो रही है।
  •  विशाल सिक्का की अगुआई वाली इन्फोसिस ने नवाचार के लिए अलग प्लेटफॉर्म बनाए हैं और वह स्वचालन को जल्द से जल्द लागू करने को बेहतर मानते हैं।
  •  एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस ने कारोबार के डिजिटल हिस्से पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया है क्योंकि यह कंपनी अब मान रही है कि डिजिटल का मतलब केवल कंप्यूटर न रहकर सबकुछ हो गया है। 

क्या और करना होगा :

  • आईटी उद्योग को अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत डिजिटल सहायक की भूमिका निभाने के लिए अपने मौजूदा स्टाफ को नए सिरे से प्रशिक्षित करना होगा।
  • आईटी कंपनियों को शिक्षण संस्थानों और सरकार के साथ मिलकर नए प्रशिक्षुओं के जानकारी स्तर को बेहतर बनाने की पहल करनी होगी।

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