कर्नाटक का अलग ध्वज की मांग करना उचित या अनुचित?

#Dainik_Bhaskar

Issue of debate?

जब देश एक है, एक संविधान है और राष्ट्रीय ध्वज भी एक है, फिर कर्नाटक को अलग क्षेत्रीय झंडा क्यों चाहिए?

  • यदि राज्य का अलग झंडा होगा तो क्या यह हमारे राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को कम नहीं करेगा?
  • ऐसा होने पर लोगों में प्रांतवाद की भावना बढ़ने की आशंका है।
  • राज्य सरकार यह सुनिश्चित कैसे करेगी कि अलग क्षेत्रीय झंडे के बावजूद वहां के नागरिकों की आस्था राष्ट्रीय ध्वज के प्रति पूर्ववत बनी रहेगी?

 हालांकि इन सवालों का जवाब जानना जितना जरूरी है,उतना ही जरूरी यह समझना है कि क्षेत्रीय झंडे को महत्व देने का मतलब राष्ट्रीय झंडे को अस्वीकृति देना कतई नहीं होता। अमेरिका, जर्मनी तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे संघीय व्यवस्था वाले अनेक देशों में राष्ट्रीय अस्मिता के साथ राज्यों को अलग क्षेत्रीय पहचान बनाए रखने की छूट दी गई है। म्यांमार में तो हर क्षेत्र के अलग झंडे हैं।

Is this demand Valid??

इस आधार पर हम देखते हैं तो कर्नाटक सरकार की मांग जायज लगती है लेकिन, दूसरी तरफ प्रश्न यह भी उठेंगे कि एक राष्ट्रीय झंडे से राज्य सरकार को परेशानी क्या है?

झंडे के प्रति प्रेम और आदर का भाव होना जरूरी है जब, तिरंगे के प्रति सम्मान की भावना नहीं रह पा रही है तो, उस लाल-पीले झंडे के प्रति कैसे रहेगी, जिसे अपनाने के लिए कर्नाटक सरकार संविधान का हवाला तक दे रही है। कर्नाटक के बाद अन्य राज्य भी ऐसी मांग करेंगे। इस तरह देश में क्षेत्रीयता की भावना हावी होती जाएगी और राष्ट्र के तौर पर हम भीतर से खोखले होते जाएंगे।

What problem can arise in Future?

  • इस तरह की विभाजनकारी राजनीति राष्ट्रीय एकता एवं प्रगति में बाधक साबित होगी। क्षेत्रीय तथा भाषायी आधार पर देश पहले ही खंड-खंड हो चुका है।
  • बाद में जनजातीय और भौगोलिक आधार पर भी राज्यों का बंटवारा हुआ। आ
  • ज भी गोरखालैंड, पूर्वांचल, विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग जारी है।
  • बहरहाल, प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक चिह्न या प्रतीक होता है, जिससे उसकी पहचान बनती है। राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव तथा देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता का प्रतीक भी होता है। राष्ट्रीय ध्वज एक ही हो और उसके प्रति आस्था बनी रहनी चाहिए।

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