भारत को देखने के अमेरिकी नज़रिये में बदलाव

#Dianik_Bhaskar

भारतीय आईटी इंजीनियरों के लिए एच-1-बी वीज़ा की संख्या को अत्यंत सीमित करने के राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले से भारत में  समस्याएं व चिंताएं पैदा हुई हैं|

What Prime minister of India did to resolve this issue while in US:

  • उस मुद्‌दे को ट्रम्प प्रशासन के सामने मसला उठाने की बजाए मोदी ने फैसला किया कि इसके लिए वे अमेरिका के इंडस्ट्री व बिज़नेस का इस्तेमाल करेंगे कि वे इससे संबंधित कानून में संशोधन करवाएं।
  • उन्होंने पूरा दिन 20 शीर्ष अमेरिकी बिज़नेसमैन और हाई टेक इंडस्ट्री के प्रमुखों से मिलने में बिताया, जिनमें से चार तो भारतवंशी थे।
  • उन्होंने इन लोगों को सलाह दी कि वे अमेरिकी सीनेटरों व कांग्रेस सदस्यों के बीच यह मसला मजबूती से उठाएं।
  • उन्होंने ध्यान दिलाया कि प्रस्तावित कानून का अमेरिका की हाई-टेक कंपनियों पर विपरीत असर पड़ेगा। ‘

Symmetry on some other issues:

अमेरिका पहले’ की ट्रम्प की नीतियों पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए यह साफ कर दिया गया कि भारत अपनी निजी हवाई सेवाओं के कारण अमेरिकी विमानों का महत्वपूर्ण बाजार है- इस बिंदु को खुद ट्रम्प ने स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने माना कि परम्परागत, सौर और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए व्यापक संभावनाए हैं। यह भी कहा कि भारत बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस आयात करने को राजी है। मोदी ने जब ट्रम्प की बेटी इवांका को नई दिल्ली में होने वाले ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप समिट के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का निमंत्रण दिया तो अमेरिकी राष्ट्रपति खासतौर पर खुश हुए।

Talk on terrorism:

ट्रम्प की चिंतां पर ध्यान देने की तैयारी दिखाने के बदले में उन्होंने भी कुछ दूरगामी निर्णय लिए। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि वे ‘कट्‌टर इस्लामी आतंकवाद’ को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब तक अमेरिका लश्कर और जैश जैसे पाक आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राजी था। लेकिन, पहली बार अमेरिका ने न सिर्फ पाकिस्तान को बल्कि कश्मीर के इस्लामी कट्‌टरपंथियों को भी साफ संदेश दिया है कि यदि उन्होंने कश्मीर में हिंसा के लिए आईएसआई अथवा लश्कर जैसे गुटों की मदद ली तो उन्हें भी निशाना बनाया जाएगा। व्हाइट हाउस में बातचीत शुरू होने के पहले अमेरिका ने कश्मीरी आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन पर पाबंदी लगाते हुए आईएसआई समर्थित इसके सरगना सैयद सलाहुद्‌दीन पर प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका ने भारत की इस मांग में सुर मिलाया कि पाकिस्तान मुंबई हमले और पठानकोट वायु सैनिक ठिकाने पर हमले के दोेषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।

Importance to geopolitical role of India in Indian ocean:

यह तो साफ है कि ट्रम्प प्रशासन न सिर्फ पाकिस्तान के संबंध में सहयोग करने को राजी है बल्कि एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका के महत्व को मान्यता देता है। ट्रम्प ने खुद हिंद महासागर में भारत, जापान व अमेरिकी युद्धपोत के साथ होने वाले नौसैन्य अभ्यास के महत्व पर जोर दिया। बहरीन स्थित अमेरिका का पांचवां बेड़ा अरब देशों से दुनिया को होने वाली कच्चे तेल की सप्लाई पर निगाह रखता है, जहां 60 लाख भारतीय रहते हैं। इस क्षेत्र को मोदी बहुत महत्व देते हैं। यह हमारे पश्चिम में पूर्वी अफ्रीका के किनारों से पूर्व में मलक्का की खाड़ी तक फैला हुआ है। इसी क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से भारतीय सदियों से व्यापार करते रहे हैं।

Talk over Taliban:

सामने मौजूद चुनौतियों के संबंध में दोनों नेता सहमत हुए कि दोनों मिलकर अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुट तालिबान द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर उन्हें मिटा डालेंगे। इस संदर्भ में पाकिस्तान में तालिबानी ठिकानों पर लगातार जारी ड्रोन हमलों को देखा जा सकता है। ट्रम्प ने अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचे के विकास व अन्य सुविधाओं के लिए भारतीय मदद की सराहना की और इसे जारी रखने का आह्वान किया। अमेरिका से रिश्तों में सुधार से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कुवैत जैसे देशों से हारे रिश्ते मजबूत होने में मदद मिलेगी। ट्रम्प हिंद महासागर में सतत निगरानी के लिए भारत को अत्याधुनिक ड्रोन देने पर राजी हुए हैं, जहां चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। अमेरिका को बहरीन में अमेरिकी नौसैनिक उपस्थिति का इस्तेमाल करना होगा ताकि चीन की चुनौती के परिप्रेक्ष्य में जापान, सिंगापुर और वियतनाम को साथ लेकर हिंद महासागर में हमारे समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखा जा सके।

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