उष्ण कटिबंधीय चक्रवात अपनी उग्रता और नुकसान के लिए जाने जाते है परन्तु हाल ही में जलवायु परिवर्तन से वो और खतरनाक हो गए है जहाँ चक्रवात की आवृत्ति की अपेक्षा उसकी तीव्रता बढी है जिससे उनके नुकसान पहुचाने की क्षमता में वृदि हुई है और यह सीधे तौर पर तटों पर बसे भारतीय शहरों को अधिक नुकसान पहुंचाता सकता है । चक्रवात को रोक नहीं सकते, लेकिन इसके प्रभाव से बचने के लिए कुछ कदम उठाया जा सकता है जिससे जान-माल का हानि कम हो, जो निम्न है:-
(1) शहरों के तटों पर मैंगरुव का वृक्ष लगाए जाएँ जिससे कि चक्रवात की तीव्रता को कम किया जा सके। क्योंकि ये उसकी हवा की गति को कुछ कम करने में कामयाब होंगे और उससे जो storm surge होगा उसको भी रोकने में मदद करेंगे जिससे इससे होने वाली बाढ़ को कम किया जा सके |
(2) तटों पर दीवार बनाएं जाए जो चक्रवात के लैंडफाल की तीव्रता को भी कम किया जा सके।
(3) इसके लिए हम जैसे बाढ़ क्षेत्रो में flood plan zoning (FPZ ) का तरिका अपनाते है एसे ही coastal zoning भी करे |
(4) जलनिकासी का वयवस्था हो ताकि चक्रवात का पानी आसानी से निकल जाए ।
(5) चक्रवात के समय संचार वयवस्था ठप हो जाता है जिससे लोगों बचाने में समस्या होती है। इसके लिए IIT मद्रास ने जो नई तकनीक विकासित की है वो कारगर सिद्ध हो सकती है ताकि हर-पल आपदा के समय संचार प्रणाली बनी रहे और जान माल में होने वाले नुकसान को बचाया जा सके ।
(6) जनता तथा प्रशासन के समन्वय से नुकसान को कम किया जा सकता है ।
(7) सोलर पैनल के उपयोग से चक्रवात के समय बिजली की को कम किया जा सकता है ।
(8) सोशल मीडिया का प्रयोग करके लोगों को होनेवाले हानि को रोका जा सकता है।
(9) तटीय शहरों का निर्माण एक सुनियोजित तरीके से किया जाए ताकि मकानों का हानि कम हो। इसके लिए cyclone proof घर के idea को promote कर सकते है