सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की महासागर ऊर्जा प्रणालियों से भारत के जुड़ने को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कार्यान्वयन करने वाले समझौते (आईए) पर हस्ताक्षर कर भारत को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी - महासागर ऊर्जा प्रणालियों (आईईए-ओईएस) का एक सदस्य देश बनाए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है।
- सदस्यता के लिए प्रमुख एजेंसी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन - राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (ईएसएसओ-एनआईओटी) होगी।
=>लाभ क्या होगा :-
१. आईईए–ओईएस का एक सदस्य बन जाने से भारत की पहुंच दुनियाभर की उन्नत अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) टीमों और तकनीकों तक हो जाएगी।
२.भारत अन्य देशों के साथ मिलकर परीक्षण प्रोटोकॉलों को विकसित करने में भागीदार बनेगा।
३. इससे अंतर्राष्ट्रीय जरूरतों एवं नियमों के अनुसार भारतीय प्रारूपों (प्रोटोटाइप) के परीक्षण में मदद मिलेगी।
४. इसके अलावा, सदस्य देशों के संस्थानों के साथ मिलकर संयुक्त सहकारी कार्यक्रम शुरू किए जा सकेंगे। इसी तरह अन्य देशों के साथ मिलकर विशेष लक्ष्यों वाली भारत की अपनी अनुसंधान परियोजनाओं पर काम शुरू किया जा सकता है।
=>पृष्ठभूमिः
- भारत की लंबी तटरेखा और देश में बिजली की भारी कमी के मद्देनजर महासागर नवीकरणीय ऊर्जा का अध्ययन करना आवश्यक हो गया है।
- समुद्र के प्रकोप को देखते हुए महासागर ऊर्जा का दोहन करना एक तकनीकी चुनौती है।
- भारतीय संदर्भ में संवर्धित महासागर ऊर्जा उपकरणों (लहरों, धाराओं एवं ज्वार समेत) की डिजाइनिंग करना और उनकी तकनीकी एवं वाणिज्यिक लाभप्रदता पर गौर करने की जरूरत है।
- उष्णकटिबंधीय देशों में समुद्री सतह का तापमान अपेक्षाकृत ऊंचा होता है, अतः इसके मद्देनजर महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण (ओटीईसी) भारत जैसे देशों के लिए एक काफी अच्छा विकल्प है।
नोट :- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान ‘एनआईओटी’ समुद्री ऊर्जा और अलवणीकरण के क्षेत्र में कार्यरत है।