परिवहन की जीवन रेखा बनें जलमार्ग

#Amar_Ujala

Some Facts:

  • इस समय कुल घरेलू माल ढुलाई में तटीय नौवहन और जलमार्ग का हिस्सा छह फीसदी मात्र है, जबकि करीब 54 फीसदी ढुलाई सड़क मार्ग से, 33 फीसदी ढुलाई रेल से और सात फीसदी ढुलाई पाइपलाइन से होती है।
  •  जलमार्ग कभी भारतीय परिवहन की जीवन रेखा हुआ करते थे। पर बीती एक शताब्दी में भारत में जल परिवहन क्षेत्र बेहद उपेक्षित होता चला गया।

Recent Context

हाल ही में जहाजरानी मंत्रालय ने सागरमाला परियोजना के तहत तटीय नौवहन एवं जलमार्ग से ढुलाई 2025 तक बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य पेश किया है।

Challenges ahead

मगर कुल घरेलू माल ढुलाई में जल परिवहन के मौजूदा छह फीसदी हिस्से को 2025 तक बढ़ाकर 12 फीसदी करने का लक्ष्य आसान नहीं है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग कानून के तहत 111 नए नदी मार्गों को राष्ट्रीय जलमार्गों के रूप में विकसित किए जाने की योजना बनाई गई है।

Natural advantages but still lacking

भारत के पास 7,500 किलोमीटर तटीय क्षेत्र है, जबकि 14,500 किलोमीटर नदी मार्ग है। इस विशाल नदी मार्ग पर हमेशा बहती रहने वाली नदियों, झीलों और बैकवाटर्स का उपहार भी मिला हुआ है। लेकिन हम इसका उपयोग नहीं कर सके और समय के साथ इनकी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई।

Advantage of water Transport

  • एक हॉर्स पावर शक्ति की ऊर्जा से पानी में चार टन माल ढोया जा सकता है, जबकि इससे सड़क मार्ग पर 150 किलो और रेल मार्ग से 500 किलो माल ही ढोया जा सकता है।
  • जल मार्ग से माल ढुलाई से परिवहन लागत भी घटती है। यही कारण है कि यूरोप, अमेरिका, चीन तथा बांग्लादेश में काफी मात्रा में माल की ढुलाई अंतर्देशीय जल परिवहन तंत्र से हो रही है। यूरोप के कई देश आपस में इसी साधन से बहुत मजबूती से जुड़े हैं।
  • हमारे देश के अधिकांश बिजलीघर कोयले की कमी से परेशान रहते हैं। सड़क और रेल परिवहन से समय पर कोयला बिजलीघरों तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा कोयला ढुलाई की नियमित व किफायती संभावनाएं हैं।

What needs to be done

  • अब देश में नदियों की प्रकृति और उनके गहरे उथले पानी, गाद को निरंतर बहाव के अलावा जगह-जगह बने पीपा पुल तथा अन्य समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा। साथ ही, वाणिज्यिक जल परिवहन का बुनियादी ढांचा तैयार करने में भारी-भरकम निवेश के प्रबंध पर ध्यान देना होगा।
  • इस क्षेत्र में सेवाओं की दक्षता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी काफी संसाधन जरूरी हैं।
  •  सरकार ने अगले पांच वर्ष में जलमार्गों के विकास के लिए 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के संकेत दिए हैं, लेकिन निजी क्षेत्र से अगले पांच वर्षों में जल परिवहन के लिए इससे पांच गुना निवेश की उम्मीद की गई है। इसकी भी वैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी कि विभिन्न नदी तटीय इलाकों के कारखाने तथा अन्य उपक्रम अपनी माल ढुलाई में एक खास हिस्सा जलमार्गों को दें।
  • माल ढुलाई के लिए जलमार्ग उपयोग करने वालों को कुछ सब्सिडी भी दी जानी चाहिए। इससे अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय जहाजरानी, दोनों को बढ़ावा मिलेगा, सस्ते में परिवहन होगा और इन संगठनों का आधार मजबूत होगा

 

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