चुनाव आयोग ने चुनावों में कालेधन पर रोक लगाने के मकसद से सरकार से कानूनों में संशोधन का आग्रह किया है ताकि राजनीतिक दलों को दो हज़ार रुपये और उसके ऊपर दिए जाने वाले गुप्त दान पर रोक लगाई जा सके.
- राजनीतिक दलों द्वारा गुप्त चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या वैधानिक रोक नहीं है. हालांकि, जनप्रतिनिधि कानून-1951 की धारा 29-सी के तहत चंदों की घोषणा जरुरी होने के तहत गुप्त चंदों पर अप्रत्यक्ष आंशिक रोक जरुर है, किन्तु इस प्रकार की घोषणा 20 हज़ार रुपये से अधिक के योगदान पर ही की जानी चाहिए
- आयोग की ओर से सरकार को भेजे गए प्रस्तावित चुनावी सुधारों के तहत दो हजार रुपये के बराबर या उससे ऊपर का गुप्त चंदे पर रोक होनी चाहिए. प्रस्तावित संशोधन चुनाव सुधार पर उसकी सिफारिशों का हिस्सा है.
- नोटबंदी और कराधान संशोधन अधिनियम-2016 के बाद राजनीतिक दलों को कोई छूट या विशेषाधिकार प्रदान नहीं किया गया है
- आयोग ने यह भी प्रस्तावित किया है कि आयकर छूट ऐसी ही पार्टियों को दी जानी चाहिए जो चुनाव लड़ती हैं और लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतती हैं.
- आयकर कानून, 1961 की धारा 13-ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर छूट प्रदान करती है. भारत में राजनीतिक पार्टियों की केवल वेतन मद में होने वाली आय और व्यापार या पेशे से होने वाली आय कर के दायरे में आती है.
- चुनाव आयोग ने कहा कि यदि सरकारी खजाने की कीमत पर सभी राजनीतिक दलों को सुविधा प्रदान की जाती है तो ऐसे मामले हो सकते हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियों का गठन आयकर छूट के प्रावधानों का लाभ उठाने के लिए ही किया जाए
- कालेधन पर लगाम के तहत की गई अन्य सिफारिशों में चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि राजनीतिक दलों को उच्चतम न्यायालय के 1996 के एक आदेश के तहत सभी धनराशि के कूपन के बदले चंदा देने वालों की जानकारी दर्ज कराना जरुरी बनाया जाए.
कूपन चंदा लेने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा इजात किए गए तरीकों में से एक है जिसके जरिए वे चंदे लेते हैं. इसलिए वे इनका मुद्रण स्वयं करते हैं. इसकी कोई सीमा नहीं कि कितने कूपनों का मुद्रण किया जा सकता है.