चुनाव लड़ने पर रोक: गंभीर आरोप तय होने से भी

in news

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को उस याचिका पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है जिसमें गंभीर अपराधों के दोषी पाए गए नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मसले पर जल्द ही संविधान बेंच का गठन किया जाएगा।

Ø  अश्वनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर गंभीर अपराध के मामले में आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने से रोकने की मांग की है।

Ø  मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा था। लेकिन न तो संविधान पीठ गठित हुई और न सुनवाई हुई। इस मामले में उपाध्याय के अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह और एक अन्य एनजीओ की याचिकाएं भी लंबित हैं।

Ø  पांच राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे लोग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जिनके खिलाफ हत्या व बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। इन्हें रोकने के लिए चुनाव से पहले सुनवाई होनी चाहिए। पीठ ने सहमति जताते हुए कहा कि जल्द ही संविधान पीठ का गठन किया जाएगा। कोर्ट चुनाव से पहले सुनवाई करेगा।

Ø  पीठ ने चुनाव से पहले फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि सुनवाई में इस का भी ध्यान रखा जाएगा

Ø  अर्जी में कहा गया है कि इस समय देश में 33 फीसद नेता ऐसे हैं जिन पर गंभीर अपराध में कोर्ट आरोप तय कर चुका है।

Ø  कई विशेषज्ञ समितियां जिसमें गोस्वामी समिति, वोहरा समिति, कृष्णामचारी समिति, इंद्रजीत गुप्ता समिति, जस्टिस जीवनरेड्डी कमीशन, जस्टिस वेंकेटचलैया कमीशन, चुनाव आयोग और विधि आयोग राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जता चुके हैं, लेकिन सरकार ने आज तक उनकी सिफारिशें लागू नहीं कीं।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download