संसद ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने और 18 साल तक के किशोरों से खतरनाक क्षेत्रों में काम लेने पर रोक के प्रावधान वाले बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2016 को पारित कर दिया।
★ इस विधेयक के पारित होने पर भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की दो संधियों का अनुमोदन कर सकेगा।
=>बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करना उद्देश्य
★ इसका मकसद बाल श्रम को पूरी तरह से समाप्त करना है। इस विधेयक में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए परिवार से जुड़े व्यवसाय को छोड़कर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने पर पूर्ण रोक का प्रावधान किया गया है। यह संगठित और असंगठित क्षेत्र दोनों पर लागू होता है।
=>शिक्षा के अधिकार से जोड़ा गया विधेयक
★ इसे शिक्षा का अधिकार, 2009 से भी जोड़ा गया है और बच्चे अपने स्कूल के समय के बाद पारिवारिक व्यवसाय में घर वालों की मदद कर सकते हैं।
'=>मानसिकता बदलने की जरूरत'
★कोई भी परिवार जिस पृष्ठभूमि और पेशे में है, उस परिवार का बच्चा भी उसी पेशे को अपनाये यह जरूरी नहीं है। गरीब का बच्चा भी अच्छे स्थान या पद को प्राप्त कर सकता है। इस विषय पर मानसिकता बदलने की जरूरत है।
=>विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन पर कड़ी सजा
★ इस विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन पर सख्त सजा का प्रस्ताव किया गया है। पहले के प्रावधानों के मुताबिक 10 हजार से 20 हजार रुपए तक का जुर्माना और तीन महीने से एक साल तक की सजा हो सकती थी। लेकिन इस संशोधन विधेयक में सजा को और सख्त करते हुए 20 हजार से 50 हजार रुपए तक जुर्माना का प्रस्ताव किया गया है।
=>कब, कितनी सजा
★इसके साथ ही पहली बार अपराध होने पर छह महीने से दो साल की सजा का प्रस्ताव किया गया है जबकि दूसरी बार अपराध के मामले में एक साल से तीन साल तक की सजा का प्रस्ताव है।
=>बच्चों के कल्याण और उनके कौशल विकास पर जोर
- विधेयक में बच्चों के कल्याण और उनके कौशल विकास पर भी जोर दिया गया है तथा राज्य सरकारों को भी इससे जोड़ा जाएगा। यह विधेयक लाने से पहले ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ जैसे प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठनों से भी विचार विमर्श किया गया।
=>मुख्य उद्देश्य :- बच्चे पढ़ाई करें काम नहीं
★ इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य 14 साल तक के किसी भी बच्चे का किसी कारखाने, किसी प्रतिष्ठान, किसी दुकान, किसी मॉल आदि में श्रमिक के रूप में काम करना निषेध किया गया है।
★ इसके साथ ही विधेयक के प्रावधानों के तहत कानून को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून 2009 से जोड़ा गया है। बच्चा स्कूल जाए, इसलिए कानून को आरटीई से जोड़ा है।
=>कठिन कार्यों में श्रम निषेध
★ इसके जरिये 14 से 18 आयु वर्ग के बच्चों, जिन्हें किशोर कहा जाता है, की नयी परिभाषा दी गई है। इनके लिए भी कठिन कार्यो में श्रम को निषेध किया गया है।
=>पुनर्वास कोष का प्रावधान
★ इसमें कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया है। इसके उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाया गया है। इसके साथ ही बच्चों के लिए पुनर्वास कोष का प्रावधान किया गया है जिसे बालक किशोर कोष कहा गया है।